
देश में जॉबलेस ग्रोथ पर विपक्ष तो सरकार पर हमलावर है ही, अब खुद प्रधानमंत्री मोदी भी इससे चिंतित दिख रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे रोज़गार पैदा करने वाली योजनाओं ब्योरा दें और अगले दो साल में रोज़गार पर फोकस रखें.
विपक्ष के विरोध के बाद पीएमओ ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिए हैं कि तीन साल में उनके मंत्रालय ने रोजगार पैदा करने वाली कितनी योजनाए बनाईं और कितने लोगों को रोज़गार दिया. इसकी पूरी रिपोर्ट 20 जून तक दे. प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी मंत्रालयों को ये भी कहा है कि मंत्रालय की योजनाएं बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वे योजनाएं देश में रोजगार उपलब्ध कराने में कितनी मददगार होगी.
पीएम मोदी ने निर्देश दिए हैं कि कैबिनेट को भेजे जाने वाले सभी प्रस्तावों में यह जानकारी आवश्यक रूप से होना चाहिए कि उनके मंत्रालय के प्रस्ताव को लागू करने से रोजगार के कितने मौके बनेंगे. सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार इस बात को महसूस कर रही है कि रोजगार के एक करोड़ मौके बनाने का जो वादा चुनाव पूर्व किया था, उसमें सरकार तीन साल में कुछ खास नहीं कर सकी है. उलटे नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा था.
सरकार का आकलन है कि 15 लाख से ज्यादा लोग हर महीने देश के जॉब मार्केट में रोजगार तलाशने आते हैं. सरकार इस बात से भी परेशान है कि श्रमिकों पर निर्भरता घटाने वाले ऑटोमेशन ने भी रोजगार का संकट बढ़ा दिया है. पीएम मोदी ने सभी मंत्रालयों को कहा है कि हमारा देश युवाओं का है और देश की आबादी में 65 प्रतिशत हिस्सा 35 साल से कम उम्र के युवाओं का है. इसलिए सभी मंत्रालयों के केंद्र में जॉब क्रिएशन होना चाहिए जिससे लोगों को रोजगार मिले और देश के लाखों लोग गरीबी रेखा से बाहर आ सके.