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मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सक्रिय, अन्य विकल्पों पर नजर

भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता हासिल करने की खबर आने के बाद भारत उसे अपनी गिरफ्त में लाने के लिए और सक्रिय हो गया. भारत अब उसके प्रत्यर्पण की संभावनाओं को तलाश रहा है.

मेहुल चोकसी (फाइल) मेहुल चोकसी (फाइल)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

हजारों करोड़ रुपए के पीएनबी बैंक घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत बेहद सख्त रवैया अपना रहा है, और अब उसके जल्द ही शिकंजे में कसे जाने की संभावना है.

साल के शुरुआत में बैंक घोटाला सामने आने के बाद फरार चोकसी ने भारत आने से बचने के लिए कैरेबियाई देश एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता हासिल कर ली थी. लेकिन अब भारत सरकार ने एंटीगुआ के साथ प्रत्यर्पण के अन्य विकल्पों की तलाश शुरू कर दिया है.

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भारत का एंटीगुआ के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है. भारत ने नोटिफाई किया है कि दोनों देश राष्ट्रमंडल देशों के तहत किए गए समझौते के तहत आते हैं.

मेहुल चोकसी के एंटीगुआ में मौजूद होने और वहां की नागरिकता हासिल होने की खबर सामने आने के बाद भारतीय जांच एजेंसियां उन तक पहुंच बनाने की कोशिशों में जुटी है और उसे अपनी गिरफ्त में लाने के लिए सभी संभावित विकल्प तलाशने में जुटी थीं.

बैंक घोटाले के मुख्य आरोपियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के विदेश भाग जाने और उनकी तलाश करने में नाकाम रहने से भारतीय सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है.

इससे पहले एंटीगुआ और बारबूडा सरकार की ओर से सुझाव दिया गया था कि 1993 के प्रत्यर्पण कानून की धारा 7 के तहत इसकी गुंजाइश बनती है कि नई दिल्ली के अनुरोध के अनुसार भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत वापस भेजा जा सके.

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एक अंग्रेजी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि एंटीगुआ और बारबूडा सरकार की तरफ से यह जानकारी वहां के विदेश मंत्री ईपीचेट ग्रीन और सॉलिसिटर जनरल मार्टिन कमाको ने मुलाकात के दौरान भारतीय राजदूत को दी.

दूसरी ओर, सीबीआई ने एंटीगुआ से भगोड़े हीरा कारोबारी चोकसी के प्रत्यर्पण संबंधी प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी थी. सीबीआई ने निवेदन संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के नियमों के तहत की जिसके प्रति दोनों ही देश बाध्य हैं.

भारत को यह रास्ता इसलिए अपनाना पड़ रहा है, क्योंकि एंटीगुआ और भारत के बीच प्रत्यर्पण को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं है. हालांकि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के तहत आते हैं. सीयोल में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत ने UNCAC संधि पर सहमति जताते हुए इस पर हस्ताक्षर किए थे और एंटीगुआ ने भी इस पर दस्तखत किए हैं. इसके तहत UNCAC पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र की संधि को मानना होगा और उसे अपने यहां लागू करना होगा.

मेहुल चोकसी को नागरिकता दिए जाने पर उठे विवाद पर एंटीगुआ और बारबुडा की ओर से सफाई दी गई और कहा गया कि नागरिकता देने से पहले उन्होंने 2017 में भारतीय एजेंसियों और पासपोर्ट ऑफिस से चोकसी के बारे में जानकारी मांगी थी. जिसके जवाब में भारतीय एजेंसियों ने चोकसी को लेकर किसी प्रकार की आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी. तब भारत ने एंटिगुआ को यह स्पष्ट किया था कि चोकसी के खिलाफ किसी प्रकार के घोटाले का या फिर धोखाधड़ी का आरोप नहीं है. इसके बाद एंटीगुआ ने चोकसी को अपने देश की नागरिकता प्रदान की थी.

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