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प्रणब मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने पर आखिर विरोध क्यों?

सबकी नज़रें हैं कि आज प्रणब मुखर्जी अपने भाषण में संघ के विचारों और कामों की तारीफ़ करते हैं या फिर उन्हें विचारधारा में बदलाव के लिए नसीहत देकर जाएंगे, क्योंकि उनकी बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर संघ और बीजेपी को अफ़वाह फैलाने वाला बताया है.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
हिमांशु मिश्रा/राहुल विश्वकर्मा
  • नागपुर,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 7:46 AM IST

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के नागपुर पहुंच गए हैं. इसको लेकर पी. चिदम्बरम, जयराम रमेश, सीके जाफ़र शरीफ़ समेत कई कांग्रेस के नेताओं के बयान आये कि प्रणब मुखर्जी को आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में संघ प्रमुख मोहनराव भागवत मुख्य वक्ता होंगे. नागपुर में हर साल 14 मई से 7 जून तक का तृतीय वर्ष का संघ शिक्षा वर्ग चलता हैं, जिसमें देश भर से  संघ के 709 स्वयंसेवक प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं. संघ हर साल 7 जून को कार्यक्रम के समापन समारोह में  अग़ल-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले ख्याति प्राप्त शख्सियत को बुलाता है.

संघ के नेताओं का कहना है कि 1934 में  महात्मा गांधी स्वयं वर्धा में संघ के शिविर में आये थे. उसके बाद संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार से मुलाक़ात भी की और उनकी संघ पर विस्तृत चर्चा हुई थी. गांधी जी ने 16 सितम्बर 1947 की सुबह दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित किया था. उसमें उन्होंने संघ के अनुशासन, सादगी और समरसता की प्रशंसा की थी. गांधी जी कहते हैं, ''बरसों पहले मैं वर्धा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक शिविर में गया था. उस समय इसके संस्थापक श्री हेडगेवार जीवित थे. वैसे तो संघ के कार्यक्रमों में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण भी संघ के निमंत्रण पर आये हैं और उन्होंने संघ की प्रशंसा की है. जनरल करियप्पा 1959 में मंगलोर की संघ शाखा के कार्यक्रम में आये थे.

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1962 में भारत पर चीन के आक्रमण के समय संघ के स्वयंसेवकों की सेवा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को आमंत्रित किया था, जिसमें 3 हजार स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया था. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी ने संघ के सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर को सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया था. गुरुजी गोलवलकर उस बैठक में शामिल हुए थे.

संघ चाहता है कि विरोधी विचारधारा के लोग भी संघ के कार्यक्रमों में आएं या विरोधी विचारधारा के लोग अपने कार्यक्रमों में संघ के नेताओं को बुलाएं तो विचारों का आदान-प्रदान होगा तो आप एक-दूसरे की विचारधारा को अच्छी तरह से समझ सकते हैं. इसलिए संघ समय-समय पर अलग-अलग विचारधारा के लोगों को अपने कार्यक्रम में बुलाता है. कुछ लोग आते हैं कुछ नहीं आते हैं. संघ का मानना है कि विरोधी विचारधारा के लोग संघ को सुनने के बाद भी उससे सहमत नहीं होते हैं और  नसीहत दे देकर जाते हैं.

अब सबकी नज़रें हैं कि आज प्रणब मुखर्जी अपने भाषण में संघ के विचारों और कामों की तारीफ़ करते हैं या फिर उन्हें विचारधारा में बदलाव के लिए नसीहत देकर जाएंगे, क्योंकि उनकी बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर संघ और बीजेपी को अफ़वाह फैलाने वाला बताया है. अब देखना है कि प्रणब मुखर्जी संघ के लिए क्या कहते हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वो शब्दों के जादूगर हैं.

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