
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल लेने से इनकार कर दिया है. वह बीते कई दिनों से आरबीआई चीफ के तौर अगले टर्म की अनिश्चितताओं की वजह से सुर्खियों में चल रहे थे. इसके साथ ही नए आरबीआई चीफ की तलाश भी शुरू हो गई है.
साल 1935 में आरबीआई की स्थापना के बाद अब तक कुल 23 गवर्नर आरबीआई चीफ का पद संभाल चुके हैं. रघुराम राजन 23वें आरबीआई चीफ हुए. रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ थे, जबकि सीडी देशमुख पहले भारतीय आरबीआई गवर्नर थे.
1) सर ओसबोर्न स्मिथ
स्मिथ एक प्रोफेसनल बैंकर थे. उन्होंने 20 साल तक बैंक ऑफ न्यूसाउथ वेल्स और 10 साल तक कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में काम किया. 1926 में वह भारत आए और इम्पीरियल बैंक के मैनेजिंग गवर्नर नियुक्त किए गए. 1 अप्रैल 1935 को अंग्रेजी शासन ने उन्हें आरबीआई का गवर्नर निुक्त किया. वह 2 साल 90 दिन तक इस पद पर रहे. उनका कार्यकाल 30 जून 1937 को समाप्त हो गया. उन्होंने अपने कार्यकाल में किसी भारतीय मुद्रा पर दस्तखत नहीं किए.
2) जेम्स ब्रेड टेलर
सर ओसबोर्न के बाद जेम्स ब्रेड टेलर आरबीआई के दूसरे गवर्नर नियुक्त किए गए. 1 जुलाई 1937 को पदभार ग्रहण करने वाले जेम्स 17 फरवरी 1943 को अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे. भारतीय रुपये पर पहली बार बतौर गवर्नर जेम्स ब्रेड टेलर ने ही दस्तखत किए. वह भारतीय सिविल सेवा के भी अधिकारी थे. उन्होंने एक दशक तक तत्कालीन अंग्रेजी शासन के करंसी डिपार्टमेंट में डिप्टी कंट्रोलर का पद भी संभाला.
3) सीडी देशमुख
चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख पहले भारतीय थे, जिन्हें ब्रिटिश शासन की ओर से आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया. वह 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. महाराष्ट्र के ताल्लुक रखने वाले देशमुख 1950 से 1956 तक केंद्रीय कैबिनेट में वित्त मंत्री भी रहे. इसके अलावा कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद उन्हें यूजीसी का चेयरमैन भी बनाया गया. 1956-1961 तक इस पद पर रहने के बाद वह 1962-67 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे. 1959 में उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की भी स्थापना की.
4) बेनेगल रामा राव
मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज और कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से पढ़ाई करने वाले बेनेगल राव ने 1 जुलाई 1949 को आरबीआई गवर्नर का पद संभाला. वह 14 जनवरी 1957 तक इस पद पर बने रहे. वह भारतीय सिविल सेवा (1919) के अधिकारी थे. राव देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक आरबीआई गवर्नर रहे. उन्होंने इस पद को अपने जीवन का 7 साल 197 दिन दिया.
5) केजी अम्बेगाओंकर
अम्बेगाओंकर सिर्फ 45 दिनों तक आरबीआई गवर्नर रहे. उन्होंने 14 जनवरी 1957 को कार्यभार संभाला और 28 फरवरी को कार्यमुक्त हुए. अम्बेगाओंकर भी भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे. आरबीआई में डिप्टी गवर्नर नियुक्त होने से पहले वह वित्त सचिव भी रह चके थे.
6) एचवीआर आयंगर
भारतीय सिविल सेवा (1926) के अधिकारी आयंगर देश के 6ठे आरबीआई गवर्नर बने. इन्हीं के कार्यकाल में सिक्कों की व्यवस्था बदली और अना को डेसिमल में बदला गया. आयंगर 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962 तक आरबीआई चीफ रहे. इससे पहले वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन का पदभार भी संभाल चुके थे. आयंगर को 1962 में पद्म विभूषण सम्मान भी मिला था.
7) पीसी भट्टाचार्य
परेश चंद्र भट्टाचार्य 1 मार्च 1962 आरबीआई चीफ बने और इस पद पर 30 जून 1967 तक बने रहे. अपने पूर्व के साथियों से इतर वह इंडियन ऑडिट्स एंड अकाउंट्स सर्विस के अधिकारी थे. बतौर आरबीआई गवर्नर भट्टाचार्य ने प्राइवेट बैंकों के राष्ट्रीयकरण का विरोध किया था. उन्होंने इस बाबत तत्कालीन उपप्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को पत्र भी लिखा था. भट्टाचार्य के कार्यकाल में आर्थिक कारणों से 5 रुपये, 10 रुपये और 100 रुपये के नोट की साइज को कम किया गया था.
इन्हीं के कार्यकाल में 1964 में इंडस्ट्रियल डवलपमेंट बैंक, 1963 में एग्रीकल्चरल रिफाइनेंस कॉरपोरेशन और 1964 में ही यूनटि ट्रस्ट ऑफ इंडिया की स्थापना हुई थी.
8) एलके झा
बिहार के भागलपुर से ताल्लुक रखने वाले लक्ष्मी कांत झा भारतीय रिजर्व बैंक के आठवें गवर्नर थे. वह 1 जून 1967 से 3 मई 1970 तक इस पद पर रहे. झा भी 1936 बैच के सिविल सेवा अधिकारी थे. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र रहे झा पहले ऐसे आरबीआई चीफ थे, जिन्होंने भारतीय रुपये के नोट पर हिंदी में भी दस्तखत किए. 1969 में महात्मा गांधी की जयंती पर पहली बार 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 100 रुपये के नोट हिंदी में हस्ताक्षर के साथ सामने आए.
9) बीनएन आदरकार
सिर्फ 42 दिनों तक आरबीआई गवर्नर का पद संभालने वाले आदरकर 4 मई 1970 से 15 जून 1970 तक रिजर्व बैंक के चीफ रहे. एस जगन्नाथ से पहले वह अंतरिम गवर्नर नियुक्त किए गए थे. आदरकार एक अर्थशास्त्री थे.
10) एस. जगन्नाथ
देश के 10वें आरबीआई चीफ एस. जगन्नाथ 16 जून 1970 से 19 मई 1975 तक इस पद पर रहे. भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी जगन्नाथ रिजर्व बैंक चीफ से पहले वर्ल्ड बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी थे. इनके कार्यकाल में 20 रुपये और 50 रुपये के नोट लाए गए थे.
11) एनसी सेन गुप्ता
एनसी सेन गुप्ता की नियुक्ति भी अंतरिम गवर्नर के तौर पर हुई. वह 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975 तक इस पद पर रहे. छोटा कार्यकाल होने के बावजूद 1000 रुपये के नोट पर हस्ताक्षर अंकित हैं.
12) केआर पुरी
केआर पुरी 20 अगस्त 1975 से 21 मई 1977 तक रिजर्व बैंक के मुखिया रहे. आरबीआई चीफ पद पर नियुक्ति से पहले वह एलआईसी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन थे. उनके हस्ताक्षर किए हुए 1000 रुपये के नोट साल 2000 में फिर से उतारे गए.
13) एम नरसिम्हन
आंध्र प्रदेश के रहने वाले नरसिम्हन 2 मई 1977 से 30 नवंबर 1977 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. साल 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित नरसिम्हन आरबीआई के बाद वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मोनेटरी फंड में भारत के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बने.
14) आईजी पटेल
इंद्राप्रसाद गोवर्धनभाई पटेल 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय सौंपने का विचार किया, लेकिन पटेल नहीं माने. उन्हें उसी साल अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
15) डॉ. मनमोहन सिंह
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री भी हैं. वह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे हैं. पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री रहे हैं. इसके अलावा वह 1972-1976 तक मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं.
16) अमिताभ घोष
रिजर्व बैंक के अब तक के इतिहास में घोष सबसे कम 20 दिनों तक गवर्नर रहे हैं. इससे पहले अमिताभ इलाहाबाद बैंक के चेयरमैन और आईडीबीआई बैंक के डायरेक्टर भी रह चुके हैं.
17) आरएन मल्होत्रा
राम नारायण मल्होत्रा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 17वें गवर्नर हुए. वह 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990 तक इस पद पर रहे. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मल्होत्रो 1990 में पद्म विभूषण सम्मान मिला. उनके कार्यकाल में 500 रुपये के नोट को बाजार में उतारा गया.
18) एस. वेंकटरमनन
तमिलनाडु के एस. वेंकटरमनन 22 दिसंबर 1990 से 22 दिसंबर 1992 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे वेंकटरमनन आरबीआई चीफ बनने से पहले तमिलनाडु सरकार के वित्त सचिव और सलाहकार थे.
19) सी. रंगराजन
भारतीय अर्थशास्त्री और पूर्व राज्यसभा सांसद सी. रंगराजन 22 दिसंबर 1992 से 21 नवंबर 1997 तक आरबीआई के चीफ रहे हैं. इसके अलावा वह प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं.
20) बिमल जालान
पूर्व राज्यसभा सांसद बिमल जालान 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003 तक भारतीय रिजर्व बैंक के चेयरमैन रहे हैं. 1997 में जब उन्होंने पद संभाला, उस समय विश्व साउथ ईस्ट एशिया करंसी क्राइसिस से जूझ रहा था और भारतीय अर्थ्व्यवस्था भी इससे अछूती नहीं थी. अपने योग्य नेतृत्व से इन्होंने भारत को इस संकट का शिकार होने से बचाया.
21) डॉ. वायवी रेड्डी
डॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी 1964 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. वह 6 सिंतबर 2003 से 5 सितंबर 2008 तक आरबीआई चीफ रहे. 2010 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
22) डी. सुब्बाराव
दुव्वरी सुब्बाराव एक भारतीय अर्थशास्त्री और बैंकर हैं. वह 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013 तक भारतीय रिजर्व बैंक के 22वें गवर्नर रहे. सुब्बाराव 1972 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के आंध्र प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं.
23) रघुराम राजन
रघुराम राजन का पूरा नाम रघुराम गोविंद राजन है. 4 सितंबर 2013 को डी. सुब्बाराव के रिटायर होने के बाद उन्हें आरबीआई का गवर्नर बनाया गया. इससे पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं. वह शिकागो यूनिवर्सिटी में बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक जे. ग्लीचर फाईनेंस के प्रोफेसर थे.
साल 2003 से 2006 तक वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री और अनुसंधान निदेशक रहे. उन्होंने भारत में वित्तीय सुधार के लिए योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया. राजन ने भारतीय वित्त मंत्रालय, वर्ल्ड बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है.