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पढ़ें- क्या हुआ जब SC के फैसले के बाद साथ बैठे अयोध्या केस के पक्षकार

अयोध्या में जुटे मंदिर-मस्जिद के पक्षकारों ने एक सुर में कहा कि एक समझौते के तहत मंदिर और मस्जिद दोनों बने. पक्षकारों का मानना है कि इस विवाद में फैसला जितनी जल्दी आए, उतना अच्छा और कोर्ट जो भी फैसला देगा, वह सर्वमान्य होगा.

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास
रविकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

अयोध्या में गुरुवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के पक्षकार आमने-सामने आए. मौका था 'आज तक' के स्पेशल शो दंगल का. पक्षकारों ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर अपने-अपने विचार रखे.

इस कार्यक्रम में मौजूद थे राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी. राम जन्मभूमि के पक्षकार महंत धर्मदास. निर्मोही अखाड़ा के उत्तराधिकारी प्रभात सिंह. जिला पंचायत सदस्य और राम मंदिर के समर्थक बबलू खान. इसके अलावा कार्यक्रम में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद समझौता समिति के अध्यक्ष बाबू खान शामिल हुए. सबने मंदिर-मस्जिद के बारे में अपनी-अपनी राय रखी.

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महंत धर्मदास

सबसे पहले महंत धर्मदास ने कहा कि समाज चाहता है जल्द से जल्द मंदिर बने. हम पक्षकार हैं, इसलिए हमारा कहने का हक है कि नवंबर तक मंदिर पर फैसला दिया जाए. इसे आगे लटकाने का कोई मतलब नहीं.

इकबाल अंसारी

इसके बाद बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, हम भी चाहते हैं कि जितनी जल्द हो सके फैसला हो जाए. हम भी 70 साल से लड़ रहे हैं और कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं. गुरुवार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में अंसारी ने कहा, इससे मुस्लिम समाज को कोई झटका नहीं लगा. फैसले से उन पर फर्क पड़ेगा जो इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं, चापलूसी करते हैं. फैसला कोर्ट को करना है, सबूत हमारे पास है. कोर्ट जो भी फैसला करेगा हम उसको मानेंगे.

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आचार्य सत्येंद्र दास

आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, जिन लोगों को यह शंका थी कि मंदिर के पक्ष में निर्णय हो सकता है, उन लोगों ने इसे लंबित करने के लिए केस लाकर रख दिया जबकि इसका निर्णय हो चुका था. केस को और आगे बढ़ाने के लिए, लंबित करने के लिए केस बढ़ाया. कोर्ट को आज लगा कि यह केस अगर संविधान बेंच को दे देते हैं, तो मुकदमा और लटक जाएगा, इसलिए जैसा आदेश पहले हुआ था, उसी को स्वीकार कर लिया.

बबलू खान

राम मंदिर के समर्थक और जिला पंचायत सदस्य बबलू खान ने कहा, 'अगर ये मामला अगले बेंच को जाता तो और अटकता और केस लंबा खिंचता. दुकानदारों की दुकान और चलती, इसलिए आज का फैसला काफी अच्छा हुआ है. अब डायरेक्ट सुनवाई होगी और डायरेक्ट फैसला आएगा. हम चाहते हैं कि बहुत जल्द इसका फैसला आए और सिर्फ और सिर्फ विकास की बात हो. राम मंदिर और मस्जिद के नाम पर सिर्फ विनाश हो रहा है. यहां पर विकास रुका हुआ है. हिंदुस्तान की जनता विकास चाहती है, विनाश नहीं चाहती. अब ज्यादा देर किए बिना दोनों पक्षों को बैठकर मामला सुलझा लेना चाहिए.'

बाबू खान

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद समझौता समिति के अध्यक्ष बाबू खान ने कहा, समझौता अहम चीज है. समझौते से अच्छी बात कोई नहीं. कोर्ट भी कहता है कि समझौता कर लिजिए. एक ही चीज हिंदू भाई भी मांग रहे हैं और मुस्लिम भाई भी. इसलिए बीच का कोई रास्ता निकालना पड़ेगा. मंदिर भी बन जाए, मस्जिद भी बन जाए. दोनों भाई गले से गले मिल जाएं, ऐसा होना चाहिए. हाईकोर्ट ने ऐसा फैसला दिया भी था. मुझे लगता है सुप्रीम कोर्ट भी कुछ ऐसा ही फैसला देगा. यह बेहतर होगा हमारे लिए, देश के लिए और समाज के लिए भी कि हमलोग आपस में लड़ें नहीं और मंदिर, मस्जिद दोनों बन जाए. एक ईंट हिंदू भाई मस्जिद में लगाएं और एक ईंट मुस्लिम भाई मंदिर में लगाएं ताकि दुनिया देखे.

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प्रभात सिंह

महंत निर्मोही अखाड़ा के उत्तराधिकारी प्रभात सिंह ने कहा, 'समझौते से बात हल हो जाए, हम ऐसा शुरू से चाहते हैं. इसके लिए हमने कई बार प्रयास भी किया. डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भी भेज चुके हैं लेकिन समझौते के लिए देश का कोई जिम्मेदार आदमी तैयार नहीं होगा. इसमें किसी पार्टी की नेकनीयत नहीं है. बात चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की, कोई इसमें प्रयास नहीं करना चाहता. निर्मोही अखाड़ा चाहता है कि मस्जिद कहीं और बन जाए लेकिन मंदिर वही बने.'

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