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एससी/एसटी एक्ट पर JDU का साथ मिलने से पासवान को मिली नई ताकत

समय रहते हुए लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने एससी/एसटी एक्ट पर जो रुख अपनाया है, वह उनकी राजनीति के लिए कई तरह से फायदेमंद है. उन्हें इसीलिए राजनीति का मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता है

CM नीतीश कुमार के साथ रामविलास और चिराग पासवान(फाइल फोटो) CM नीतीश कुमार के साथ रामविलास और चिराग पासवान(फाइल फोटो)
हिमांशु मिश्रा/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

एससी/एसटी एक्ट के मुद्दे पर जद(यू) का साथ मिलने से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को नई ताकत मिल गई है. जदयू ने केंद्रीय मंत्री और लोजपा के प्रमुख रामविलास पासवान की ओर से एससी/एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाने या इस अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संशोधन विधेयक लाने की मांग का समर्थन किया है.

बता दें कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 यानी एससी/एसटी एक्ट को लेकर 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है, और इसके बाद कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे. इसके बाद असंतोष जताते हुए कई दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद रखा. इसके बाद केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट के फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जिस पर अभी फैसला आना बाकी है.

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वहीं इस मुद्दे को लेकर रामविलास पासवान ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को और उनके सांसद पुत्र चिराग़ पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देशभर के दलित संगठनों ने 9 अगस्त को फिर से भारत बंद का आह्वान किया है. इससे बचने के लिए सरकार को जल्दी कदम उठाना चाहिए.

रामविलास और चिराग़ पासवान ने अपने अपने पत्र में कहा है कि एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद दलितों में सरकार के लिए अच्छा संदेश नहीं गया है. दलितों में सरकार विरोधी माहौल बन रहा है.

उन्होंने कहा, 'सरकार की इस छवि को बदलने के लिए हमें संसद के चालू सत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम को लेकर संसोधन बिल लाना चाहिए या फिर संसद के इस सत्र को 10 अगस्त की जगह 7 अगस्त को ही समाप्त कर भारत बंद से पहले अध्यादेश लाना चाहिए.

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रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी एक्ट पर जिस न्यायाधीश ए के गोयल ने फ़ैसला सुनाया था उन्हें राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के चेयरमैन पद से बर्खास्त करना चाहिए.

पीएमओ और गृहमंत्री राजनाथ सिंह की तरफ़ से ठोस आश्वासन अभी तक नहीं मिलने के कारण चिराग़ पासवान का कहना है कि सरकार उनकी पार्टी की मांगों को नहीं मानती है तो दलित सेना भी 9 अगस्त को भारत बंद में शामिल होगी. अगर ज़रूरत पड़ी तो उनकी पार्टी दलितों के हक़ में सीमा लांघ कर भी फैसला ले सकती है.

आज इस मुद्दे पर चिराग पासवान के सुर में सुर मिलाते हुए जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा, पीएम मोदी और सभी वरिष्ठ मंत्री कह चुके हैं एससी/एसटी एक्ट में बदलाव नहीं होगा. फिर समस्या कहां आ रही हैं. उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर हम लोक जनशक्ति पार्टी के साथ हैं. सरकार या संसद के इसी सत्र में संशोधन बिल लाए या फिर अध्यादेश लेकर आए. उन्होंने कहा कि एके गोयल ने जिस तरह से फ़ैसला सुनाया था, उससे दलितों में संदेश ठीक नहीं गया है.

सूत्रों की माने तो शुक्रवार को केसी त्यागी ने रामविलास पासवान और चिराग़ पासवान के साथ आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की थी. दरअसल, चुनावी साल में रामविलास पासवान को पता है कि एससी/एसटी एक्ट सीधा उनके वोट बैंक को प्रभावित करता है. इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ते हुए दिखना चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं किया तो वोट बैंक में सेंध लग सकती है.

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इस लड़ाई में एनडीए के और उसकी सहयोगी जेडीयू का साथ मिलने से रामविलास पासवान और उनकी पार्टी की आवाज़ इस मुद्दे पर ज़्यादा मुखर दिखाई देने वाली है.

रामविलास पासवान को ये बात अच्छी तरह से पता है कि इस मुद्दे पर उन्हें बीजेपी के दलित सांसदों के साथ-साथ विपक्षी दलों का भी समर्थन मिलेगा. राम विलास पासवान राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. इसलिए समय रहते हुए उन्होंने एससी/एसटी एक्ट पर जो रुख अपनाया है, वह उनकी राजनीति के लिए कई तरह से फ़ायदेमंद है क्योंकि रामविलास पासवान राजनीति के मौसम वैज्ञानिक भी हैं.

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