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गुजरातः कार में जिंदा जलाए गए दलित युवक का शव लेने से परिजनों का इंकार

23 फरवरी की रात वेरावल के आंबलिया गांव के रहने वाले भरत गोहेल अपने घर लौट रहे थे, उसी दौरान चार अज्ञात लोगों ने उनकी कार पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. इसके बाद हमलावर भाग निकले.

भरत गोहेल भरत गोहेल
वरुण शैलेश/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST

गुजरात के वेरावल में कार के साथ जिंदा जलाए गए दलित युवक के शव को परिजनों ने लेने से इंकार कर दिया है. 23 फरवरी को अज्ञात लोगों ने दलित युवक भरत गोहेल की कार पर पेट्रोल डाल कर जला दिया था. इसमें भरत गोहेल बुरी तरह झुलस गए थे और गुरुवार को उनकी अस्पताल में मौत हो गई.

कब हुआ हमला

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23 फरवरी की रात वेरावल के आंबलिया गांव के रहने वाले भरत गोहेल अपने घर लौट रहे थे, उसी दौरान चार अज्ञात लोगों ने उनकी कार पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. इसके बाद हमलावर भाग निकले. आग लगने के बाद भरत किसी तरह कार से बाहर निकले. उनकी आवाज सुनकर आसपास के लोग एकत्रित हो गए और उन्हें अस्पताल पहुंचाया.

स्थिति गंभीर होने की वजह से भरत को बाद में वेरावल अस्पताल से राजकोट स्थित सिविल अस्पताल में भेज दिया गया जहां उनकी गुरुवार को मौत हो गई.

प्रशासन के रवैये नाराज दलित

भरत के परिजन इस मामले पर प्रशासन के रवैये से काफी खफा हैं. परिजनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए शव लेने से इंकार कर दिया और उनका कहना है कि जब तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे शव स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है.

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क्या कहा आखिरी बयान में

भरत ने पुलिस को दिए अपने आखिरी बयान में बताया है कि उन्होंने आठ महीना पहले शॉपिंग वेबसाइट OLX के जरिये अहमदाबाद के मनोज परमार से 3.30 लाख रुपये में एक सेकेंड हैंड कार खरीदी थी. समझौते के मुताबिक मनोज को पहले 2.50 लाख रुपये कैश के रूप में और शेष 50 पचास हजार रुपये बैंक ट्रांजेक्शन के जरिये दिया जाना था जबकि बाकी 30 तीस हजार रुपये का भुगतान मई 2018 में किया जाना था.

मगर इस बीच मनोज ने बाकी 30 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिए थे और इसकी वसूली की जिम्मेदारी वेरावल के ही एक शख्स को रखी थी, जो बार-बार पैसे के लिए भरत को धमकी देता था. 

वहीं भरत की मौत पर दलित जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट किया है कि गुजरात के वेरावल तहसील के भरत गोहेल अब हमारे बीच नही रहें. कार का हफ्ता न देने पर उन्हें जिंदा जला दिया गया. पिछले कई दिनों से वह अस्पताल में थे, तब भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. दोबारा दलितों को कहना पड़ेगा कि तब तक लाश नहीं लेंगे जब तक गिरफ्तारी न हो. क्या मॉडल स्टेट है?

बहरहाल गुजरात में दलित समाज पर हो रहे लगातार हमलों के कारण राज्य सरकार बैकफुट है. ऐसे में भरत की मौत ने बीजेपी सरकार की मुसीबत और बढ़ा दी है.

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