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जवानों की आत्महत्या रोकने के लिए लंदन का रिसर्च ग्रुप करेगा BSF की मदद

'आजतक' को मिली जानकारी के मुताबिक 2014 में 46, 2015 में 27 जवानों ने की आत्महत्या की थी, वहीं 2016 में 25 जवानों ने आत्महत्या की. इस साल यानी 2017 में आत्महत्या की संख्या जवानों में बढ़ गई है. ये संख्या पिछले साल 25 के मुकाबले 34 हो गई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह/जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश की सरहदों की रक्षा करने वाली सबसे बड़ी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के जवानों में आत्महत्या रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है. बीएसएफ और लंदन का रिसर्च ग्रुप मिलकर इसका हल निकालने के लिए 15 नवंबर से बड़ी बैठक करने जा रहे हैं.

लंदन के इंटरनेशनल हेल्थ डवलपमेंट यूनिवर्सिटी चेस्टर की एक टीम बुधवार को दिल्ली में बीएसएफ के जवानों और अधिकारियों के साथ लंबी बैठक कर इस आत्महत्या करने की प्रवृत्ति से निपटने का हल ढूंढेंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर BSF और लंदन की यह टीम जवानों में आत्महत्या की बढ़ रही प्रवृति को रोकने के लिए उन तमाम बिंदुओं पर चर्चा करेगी जिसको इस रिसर्च ग्रुप ने ढूंढ निकाला है.

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इससे पहले आपको बता दें कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने जवानों को अवसाद से बचाने और आत्महत्या करने से रोकने के लिए कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू करने की हैं. इसके लिए बल ने अपने वार्षिक चिकित्सा परीक्षण में 'वेलनेस क्वोशंट एसेसमेंट' भी शुरू किया है. वहीं बीएसएफ की दूसरी परियोजना का नाम 'मेंटर-मेंटी' सिस्टम है.

बीएसएफ ने अपनी पहली एवं वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई इन परियोजना के लिए जवानों के चुनिंदा जगहों को चुना है जिसमें पुरुष एवं महिलाओं का निर्धारण किया है. बीएसएफ इन परियोजनाओं के तहत प्रश्नावली के आधार पर तनावग्रस्त जवानों की पहचान कर उनकी काउंसलिंग करने की योजना पर काम कर रही है.

कई बिंदुओं वाली इस प्रश्नावली को जवानों एवं अधिकारियों की वार्षिक चिकित्सा जांच में शामिल किया जा रहा है. प्रश्नावली में जवानों को जीवन की विभिन्न स्थितियों, चुनौतियों और दशाओं से संबंधित कई सवालों का जवाब देना होता है. ये सवाल काउंसलिंग विशेषज्ञ और डॉक्टरों ने तैयार किए हैं. इन सवालों के जवाब से उन बीएसएफ के जवानों की पहचान की जाएगी जिन्हें मदद की या काउंसलिंग की जरूरत है.

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'आजतक' को मिली जानकारी के मुताबिक 2014 में 46, 2015 में 27 जवानों ने की आत्महत्या की थी, वहीं 2016 में 25 जवानों ने आत्महत्या की. इस साल यानी 2017 में आत्महत्या की संख्या जवानों में बढ़ गई है. ये संख्या पिछले साल 25 के मुकाबले 34 हो गई है.

करीब 2.65 लाख कर्मियों वाला यह बल पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी देश की दो महत्वपूर्ण सीमाओं की सुरक्षा करता है. आत्महत्या के 90 फीसदी मामलों में जवान छुट्टी से लौटने के 10-15 दिनों के भीतर ऐसा कठोर कदम उठा लेता है. इन्हीं तमाम परेशानियों से निपटने के लिए बीएसएफ अब लंदन के एक रिसर्च ग्रुप से सलाह लेकर जवानों के काउंसिलिंग सिस्टम में जोड़ेगी.

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