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मिशन 2019: UP में BJP खेल सकती है 'आरक्षण के भीतर आरक्षण' का दांव

पूरी आबादी में 46% ओबीसी, 21% दलित, 19% अगड़े और 14% मुसलमान माने जाते हैं. BJP इसी 26% ओबीसी और 21% दलित है. आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान करना चाहती है.

नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Getty Images) नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Getty Images)
परमीता शर्मा/कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:11 AM IST

एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उत्तर प्रदेश की पूरी सरकार दलितों के घर में खाना खा रही है तो दूसरी तरफ योगी ने आरक्षण के भीतर आरक्षण की बात कर अपनी नजरें 2019 चुनाव पर टिका दी है. दो उप-चुनाव में मिली हार के बाद योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में यह ऐलान किया था कि सरकार जल्द ही पिछड़ी जातियों और दलितों में आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान कर सकती है.

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आरक्षण के भीतर आरक्षण का यह फॉर्मूला बिहार जैसे राज्यों में हिट है. उसी तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी ऐसे ही आरक्षण की बिसात बिछाने की तैयारी चल रही है. योगी सरकार ने विधानसभा के भीतर इसके संकेत दे दिए थे कि वह पिछड़ों में अति पिछड़ा और दलितों में अति दलित का एक सब-ग्रुप बनाना चाहती है जिसमें आरक्षण सभी जातियों तक पहुंच सके.

ऐसा माना जा रहा है कि 2019 से पहले सरकार आरक्षण के भीतर आरक्षण लागू कर सकती है, जिसके तहत पिछड़ी जातियों के कोटे में एक और कोटा तय किया जाएगा जिसमें समृद्ध पिछड़ी जातियों को छोड़कर दूसरी पिछड़ी जातियों का एक कोटा तैयार किया जाए, जो अभी तक आरक्षण के लाभ से जमीनी तौर पर वंचित हैं और आरक्षण का पूरा लाभ पिछड़ी जातियों के एक या दो तबके ही उठा रहे हैं.

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योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर के मुताबिक इस बारे में सरकार चुनाव के 6 महीने पहले आखिरी फैसला ले सकती है और इस बात की चर्चा उन्होंने मुख्यमंत्री और अमित शाह दोनों से खुद की है. ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि आरक्षण के भीतर आरक्षण लागू करने के लिए योगी सरकार राजनाथ सिंह के द्वारा जून 2001 में बनाए गए सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को आधार बना सकती है, जिसमें सरकार पिछड़ी जातियों में 'ए' 'बी' और 'सी' तीन सब- कैटेगरी बना सकती है. सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में करीब 2.3 फीसदी जातियां ही पिछड़ी जातियों का पूरा आरक्षण निगल जाती हैं. ऐसे में पिछड़ा, अति पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा तीन कैटेगरी में आरक्षण को विभाजित किया जाए.

'ए' कैटेगरी में यादव और अहिर सरीखी संपन्न जातियां होंगी जबकि 'बी' कैटेगरी अति पिछड़ी होगी जिसमें कुशवाहा, मौर्य, शाक्य, सैनी जैसी दूसरी जातियां होंगी जबकि अत्यंत पिछड़ी जातियों में मल्लाह, निषाद, बढ़ई, लोहार जैसी जातियां होंगी.

बीजेपी ने पिछड़ी जातियों के कोटे के अलावा दलित जातियों के भीतर भी आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान रखने की बात की है. यानी दलितों में समृद्ध जातियां अलग हो और दलितों में जो जातियां आज भी हाशिए पर हैं उन्हें अति दलित की श्रेणी में रखकर दलितों के कोटे से उन्हें आरक्षण दिया जाए. पूरी आबादी में 26% ओबीसी, 21% दलित, 19% अगड़े और 14% मुसलमान माने जाते हैं. BJP इसी 26% ओबीसी और 21% दलित आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान करना चाहती है.

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बात 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के प्रयासों की करें तो राजनाथ ने दलितों और पिछड़ों में हर जाति को उसकी संख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए हुकुम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. कमेटी की रिपोर्ट को विधानसभा में पारित भी कर दिया गया था, लेकिन उनकी ही सरकार में मंत्री अशोक यादव इसके खिलाफ कोर्ट चले गए थे. कोर्ट ने इस कमेटी की रिपोर्ट पर रोक लगा दी थी.

उपचुनाव में हार के बाद हुए विधानसभा सत्र के दौरान 22 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जरूरत पड़ने पर अति दलितों और अति पिछड़ों को अलग आरक्षण कोटा देने का ऐलान किया था, कमेटी गठित करने की घोषणा करते हुए कहा था कि कमेटी किन−किन मुद्दों पर विचार करेगी, यह तय होना अभी बाकी है.

इसकी शुरुआत 2001 में तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह ने की थी जब उन्होंने सामाजिक न्याय सिमिति की रिपोर्ट के आधार पर दलितों का दो श्रेणियां में बांटा था। पहली श्रेणी 'ए' में जाटव और धूसिया रखे गए थे और दूसरी श्रेणी 'बी' में 65 दूसरी दलित जातियां रखी गई थी. श्रेणी 'ए' में रखी गईं जातियों को 10% और श्रेणी 'बी' की दलित बिरादरियों को 11% आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी. हो सकता है योगी सरकार इस प्रावधान को ज्यों का त्यों लागू कर दे क्योंकि इसे दलितों के भीतर एक बड़ा ऐसा तबका दिखता है जो BJP का वोटर बन चुका है

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पिछड़े वर्ग को भी तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश थी. इनका कुल कोटा 27% की बजाय 28% करने की सिफारिश की गई थी. पहली कैटेगरी 'ए' में यादव और अहीर रखे गए थे. इस श्रेणी के पिछड़ों को 5% आरक्षण देने की वकालत की गई थी. जाट, कुर्मी, लोध व गूजर जैसी आठ पिछड़ी जातियों को 'बी' कैटेगरी में रखा गया था और उन्हें 9% आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी. 'सी' कैटेगरी में 70 अति पिछड़ी बिरादरियों को 14% आरक्षण कोटा देने की बात कही गई थी.

BJP की पूरी नजर इसी 46% वोट बैंक पर टिकी हुई है उसे लगता है कि अगर इसमें वह यादव और अहीर सरीखी जातियों को अलग कर दूसरी पिछड़ी जातियों के वोट ले लेगी तो वह फिर सत्ता में आ जाएगी.

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