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मानवीय मूल्य संविधान का आधार, अगले आदेश तक रोहिंग्या को वापस ना भेजे केंद्र- SC

अवैध रूप से देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की सुरक्षा, आर्थिक हितों की रक्षा जरूरी है. लेकिन इसे मानवता के आधार से भी देखना चाहिए. हमारा संविधान मानवता के आधार पर बना है.

रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या मुसलमान
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

अवैध रूप से देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की सुरक्षा, आर्थिक हितों की रक्षा जरूरी है. लेकिन इसे मानवता के आधार से भी देखना चाहिए. हमारा संविधान मानवता के आधार पर बना है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह अगली सुनवाई तक कोई एक्शन ना ले और ना ही रोहिंग्या को वापस भेजे. अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.

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कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि दलीलें भावनात्मक पहलुओं पर नहीं बल्कि कानूनी बिन्दुओं पर आधारित होनी चाहिए. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मानवीय पहलू और मानवता के प्रति चिंता के साथ-साथ परस्पर सम्मान होना भी जरूरी है.

मशहूर हस्तियों की पीएम से अपील

बता दें कि मशहूर हस्तियों की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा गया है. इस खत में केंद्र सरकार से म्यांमार में जारी हिंसा के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस उनके देश नहीं भेजने की अपील की गई है.

इस खुले खत में म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचारों का हवाला देते हुए पीएम मोदी से अपील की गई कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए. इस खत पर मशहूर वकील प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, सांसद शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़ , पत्रकार करन थापर, सागरिका घोष, अभिनेत्री स्वरा भास्कर समेत कुल 51 मशहूर हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं.

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केंद्र ने दिया था 16 पन्नों का हलफनामा

केंद्र सरकार ने पिछले 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था और देश में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों से देश को खतरा बताया था. 16 पन्ने के इस हलफनामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क हैं. ऐसे में ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और इन अवैध शरणार्थियों को भारत से जाना ही होगा.

रोहिंग्या मुस्लिमों के पक्ष में दायर की गई याचिका में केंद्र के इस रुख का विरोध किया कि याचिका न्यायालय में विचार योग्य नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक्ष मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों से कहा है कि केंद्र और दो रोहिंग्या याचिकाकर्ताओं कोर्ट की मदद के लिये सारे दस्तावेज और अंतरराष्ट्रीय कंवेन्शन का विवरण तैयार करें.

रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार के कदम को समानता के अधिकार के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा है कि हम गरीब हैं और मुसलमान हैं, इसलिए उनके साथ ऐसा किया जा रहा है. रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को भारत से बाहर निकाले जाने के सरकार के कदम पर समुदाय ने कोर्ट में अर्जी देकर कहा है कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है.

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