
भारतीय जनता पार्टी 2019 के आम चुनावों की अपनी तैयारी को धीरे-धीरे धार में देने लगी है. अगले लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के वास्ते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 प्रचारक मैदान में बीजेपी की कमान संभालेंगे. इसके लिए ये प्रचारक बकायदा बीजेपी में शामिल हुए हैं.
दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राजनीति में आने से पहले संघ में बतौर प्रचारक काम कर चुके हैं. आरएसएस के बाद ही वह बीजेपी के जरिए मुख्य राजनीति में आए थे.
बहरहाल, 16वीं लोकसभा के चुनावों में जीत दिलाने में संघ प्रचारकों की अहम भूमिका मानी जाती है, इस लिहाज से देखा जाए तो नए घटनाक्रम से कई मोर्चों पर संकट का सामना कर रही बीजेपी को राहत मिलेगी और संघ के ये प्रचारक विपक्ष की एकजुटता से निपटने में भी मददगार साबित हो सकते हैं.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए हरियाणा के सूरजकुंड में संघ और पार्टी की 14 से 17 जून तक बैठक चली. ये प्रचारक अभी तक विभिन्न राज्यों में बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री या पार्टी के किसी न किसी संगठन से जुड़े हुए थे.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सूरजकुंड में बैठक के दौरान संघ के 100 प्रचारकों को बीजेपी में शामिल करने का फैसला लिया गया. इस बैठक में संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल और सुरेश सोनी शामिल हुए. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, संगठन महासचिव रामलाल, सह संगठन महासचिव वी सतीश, सौदान सिंह, शिवकुमार और सुरेश कुमार मौजूद रहे. बता दें कि पिछले साल यह बैठक मुंबई में हुई थी.
संघ-बीजेपी की समन्वय बैठक में 2019 के चुनावों की तैयारियों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई. बीजेपी के संगठन मंत्रियों से कहा गया है कि वे पार्टी के सभी सांसदों के प्रदर्शन की समीक्षा करें और उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करें. इन रिपोर्ट्स के आधार पर ही तय किया जाएगा कि 2019 में किस मौजूदा सांसद को टिकट दिया जाए और किसे नहीं.
संगठन मंत्री देंगे रिपोर्ट कार्ड
संगठन मंत्रियों से यह कहा गया है कि इसके बारे में रिपोर्ट बनाएं कि हर सांसद ने अपने क्षेत्र में कितना काम किया है. उसका जनाधार है कि नहीं और अभी भी लोकप्रियता बरकरार है या नहीं. यह भी देखा जाएगा कि सांसद कार्यकर्ताओं को साथ जोड़े रहता है या नहीं सबसे बड़ी बात यह है कि उसके फिर से जीतने की संभावना है या नहीं. सभी संगठन मंत्रियों से अगले एक महीने के भीतर ही रिपोर्ट देने को कहा गया है.
बैठक में इस पर भी चर्चा हुई कि ज़िला स्तर पर संघ और बीजेपी के बीच तालमेल में क्या समस्या है. साथ ही तालमेल को कैसे और मजबूत किया जाए. सूत्रों की मानें तो बैठक में उन संसदीय सीटों पर भी फोकस किया गया, जहां पार्टी 2014 चुनावों में दूसरे नंबर रही थी.
बता दें कि सूरजकुंड की बैठक के दौरान ही आरएसएस और बीजेपी के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर डिनर दिया था. इसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के संगठन मंत्री रामलाल और अन्य कई नेता मौजूद रहे. इसके अलावा भी कई प्रचारक इसमें शामिल हुए.