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कश्मीर पर सोज के बयान का इफेक्ट, बुक लॉन्च में नहीं जाएंगे मनमोहन-चिदंबरम

गौरतलब है कि सोज के बयान से हुए विवाद के बाद कांग्रेस ने उनके बयान से ही किनारा कर लिया था. प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो उनके बयान को किताब बेचने के हथकंडे जैसा बताया था.

सैफुद्दीन सोज के कार्यक्रम से कांग्रेस का किनारा सैफुद्दीन सोज के कार्यक्रम से कांग्रेस का किनारा
कुमार विक्रांत/मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के बड़े नेता सैफुद्दीन सोज के कश्मीर को लेकर दिए गए बयान पर काफी बवाल हुआ. 'आजाद कश्मीर' के हक वाले सोज के बयान ने बीजेपी को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दिया, जिससे कांग्रेस बैकफुट पर दिखी. आज सैफुद्दीन सोज की किताब Kashmir: Glimpses of History and the Story of Struggle का विमोचन होना है, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी इससे दूरी बना रही है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को किताब के विमोचन के दौरान चर्चा में भाग लेने के लिए बतौर गेस्ट जाना था, लेकिन अब वह नहीं जाएंगे. चिदंबरम के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से भी इस कार्यक्रम को जाने से मना कर दिया गया है.

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गौरतलब है कि सोज के बयान से हुए विवाद के बाद कांग्रेस ने उनके बयान से ही किनारा कर लिया था. प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो उनके बयान को किताब बेचने के हथकंडे जैसा बताया था.

पहले स्वीकार फिर ठुकराया

सैफुद्दीन सोज की ओर से मनमोहन सिंह को कार्यक्रम में आने का न्योता दिया गया था, जिसे मनमोहन सिंह की तरफ से स्वीकार भी कर लिया गया था. लेकिन सोज के बयान पर हुए बवाल को देखते हुए अब मनमोहन ने भी अपने पैर खींच लिए हैं. सोज की तरफ से गुलाम नबी आजाद सरीखे बड़े कांग्रेसी नेताओं को भी न्योता दिया गया था.

आपको बता दें कि सोमवार शाम को नई दिल्ली में सैफुद्दीन सोज की किताब का विमोचन होना है. इस दौरान एक पैनल चर्चा भी होगी, इसमें पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, बीजेपी नेता अरुण शौरी, वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नय्यर और वजाहत हबीबुल्लाह को शामिल होना है. लेकिन अब चिदंबरम इसमें नहीं जाएंगे.

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क्या था सैफुद्दीन सोज का बयान?

सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कश्मीरियों को मौका मिले तो वह किसी के साथ जाने के बजाय आजाद होना चाहेंगे. सोज़ का कहना था कि मुशर्रफ का एक दशक पहले दिया गया ये बयान आज भी कई मायनों में ठीक बैठता है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये आजादी मिलना मुमकीन नहीं है. मेरे बयानों का पार्टी से लेना-देना नहीं है.

हुर्रियत से बात पर जोर

उन्होंने कहा कि 1953 से आज तक जितनी भी सरकारें रही हैं उन्होंने कश्मीर मुद्दे में कोई ना कोई गलती की है, फिर चाहे वह नेहरू और इंदिरा गांधी की ही सरकार ही क्यों ना हो. आजतक से बात करते हुए यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके सोज़ ने अपनी आने वाली किताब में इस बात पर भी जोर दिया कि केंद्र सरकार को हुर्रियत नेताओं के साथ खुले तौर पर बात करनी चाहिए.

बीजेपी ने किया था पलटवार

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विटर के जरिए सोज और कांग्रेस पर वार किया था. संबित पात्रा ने लिखा कि लश्कर-ए-तैयबा ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान का पहले ही समर्थन कर दिया है और अब सैफुद्दीन सोज ने आजाद कश्मीर का राग अलापा है. पात्रा ने लिखा कि एक पाकिस्तान भारत के बाहर है और एक पाकिस्तान कांग्रेस के अंदर ही है.

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