
हाल ही राज्यसभा के लिए कर्नाटक से दोबारा चुने गए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक नया बयान दे डाला. राहुल की ताजपोशी की वकालत अपने ही अंदाज में करते हुए जयराम ने कहा कि राहुल कांग्रेस में अभी डी- फैक्टो हैं, उनको डी-ज्युरे ('वस्तुत: राहुल कांग्रेस अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्हें वास्तविक अध्यक्ष बनना चाहिए') हो जाना चाहिए.
जयराम ने कहा कि अकेले राहुल कांग्रेस की बागडोर नहीं संभालेंगे, बल्कि उनकी पूरी टीम टेक ओवर करेगी. जयराम ने जोड़ा कि राहुल नए आइडिया और विजन के साथ कांग्रेस को फिर से मजबूत करने के लिए तैयार दिखते हैं, राहुल वैसे ही कांग्रेस की वापसी कराएंगे, जैसे सोनिया ने 1998 में आकर किया. किसी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार नहीं होगा.
बोले जयराम, तो कांग्रेस से भी आया जवाब
कांग्रेस के बयान बहादुर माने-जाने वाले जयराम रमेश के बयान पर 'आज तक' से बातचीत में कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा कि जयराम का ये वाला जुमला घोर आपत्तिजनक है. कांग्रेस को बुरे दौर में भी सोनिया और राहुल के नेतृत्व ने पार्टी को संभाला है, उनका ये बयां नकारात्मक है, जबकि बदलाव हमेशा पॉजिटिव नोट पर होना चाहिए. आखिर हम सभी मानते हैं कि राहुल जी 2019 में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे, चर्चा उनको अध्यक्ष बनाने की और संगठन में बदलाव की है, ये जल्दी होना चाहिए, लेकिन टाइमिंग क्या हो ये हमसे बेहतर आलाकमान जानता है, उसी पर छोड़ा जाना चाहिए.
क्यों बोले जयराम
सियासी गलियारों में जयराम को राहुल का करीबी माना जाता है. लेकिन पहले जब जयराम ने 60 साल से ज्यादा के लोगों को संगठन से हटने की सलाह दी थी, तब उनके बयां को शुरुआत में राहुल की आवाज माना गया और पार्टी के भीतर हंगामा बरप गया. इसके बाद खुद राहुल ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में सफाई दी कि जयराम के कहने से क्या होता है, मैं जो कह रहा हूं, उसको मानेंगे या जयराम को. मैं साफ कहता हू कि कांग्रेस संगठन में यूथ और अनुभव का मिश्रण होगा, उम्र ज्यादा बड़ा फैक्टर नहीं. हां युवाओं को ठीक-ठाक जगह मिलेगी.
उसके बाद राज्यसभा मेंबर चुने जाते ही जयराम ने ताजा बयान देकर कांग्रेसियों के कान खड़े कर दिए हैं. जयराम के करीबियों का मानना है कि नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त सियासी खौफ दिखाकर राहुल को रोकना चाहती है, क्योंकि उसको टीम राहुल में जगह नहीं मिलने का डर है. इसीलिए पार्टी के सीनियर नेताओं को ऐसे बयान देकर माहौल बनाना चाहिए, जिससे जल्दी राहुल और उनकी टीम कमान संभाल ले.
वहीं, जयराम विरोधी कहते हैं कि सही वक्त पर राहुल को अध्यक्ष बनना ही है और उनकी पसंद के लोगों को संगठन में आना ही है, इसलिए जयराम जैसे नेता सिर्फ टीम राहुल में जगह बनाने के लिए और राहुल को खुश करने के लिए ऐसे बयां दे रहे हैं, जैसे वही राहुल के असली हितैषी हैं और उनको कोई लालच नहीं.
अगर ऐसा था तो 60 साल से ऊपर वालों को हटाने की बात करने वाले जयराम ने खुद 60 साल पर करने पर क्यों तमाम गोटियां बिछाने के बाद राज्यसभा की सीट हासिल की. जयराम विरोधी उन पर लॉयल देन किंग का तमगा चस्पा करने में भी गुरेज नहीं करते.
कुल मिलाकर राहुल की ताजपोशी और कांग्रेस में बड़े बदलाव की बात बीरबल की खिचड़ी की तरह हो गई है, जो पकने का नाम ही नहीं ले रही. लेकिन मौका देखकर जयराम, दिग्विजय और संदीप जैसे तमाम कांग्रेसी दिग्गज भला उसमें अपना अपना सियासी मसाला डालने का कोई मौका नहीं चूक रहे.