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देश में 35 साल तक इमरजेंसी लागू रखना चाहते थे संजय गांधी, इंदिरा ने करा दिए चुनाव

कहा जाता है कि इमरजेंसी लागू करने के फैसले में संजय गांधी का बड़ा प्रभाव था, उस दौरान भी जिस तरह से देश में फैसले लागू किए जा रहे थे वह पूरी तरह से संजय के ही नियंत्रण में थे.

संजय गांधी के साथ इंदिरा गांधी (फाइल) संजय गांधी के साथ इंदिरा गांधी (फाइल)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

25 जून 1975 की आधी रात को जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की तो चारों तरफ हड़कंप मच गया. आपातकाल के फैसले को भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे काला दिन बताया गया, ये करीब 2 साल तक रहा. हालांकि, उस दौरान संजय गांधी की चलती तो करीब 35 साल तक देश में इमरजेंसी ही रहती.

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कहा जाता है कि इमरजेंसी लागू करने के फैसले में संजय गांधी का बड़ा प्रभाव था, उस दौरान भी जिस तरह से देश में फैसले लागू किए जा रहे थे वह पूरी तरह से संजय के ही नियंत्रण में थे.

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर के मुताबिक, इमरजेंसी के बाद जब उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई तो उन्होंने इसपर उनसे बात की. तभी संजय गांधी ने उन्हें बताया था कि वह देश में कम से कम 35 साल तक आपातकाल को लागू रखना चाहते थे, लेकिन मां ने चुनाव करवा दिए. 

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इंदिरा ने भंग की थी लोकसभा

आपातकाल लागू करने के लगभग 2 साल बाद विरोध की लहर तेज़ होती देख प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी थी. चुनाव में आपातकाल लागू करने का फ़ैसला कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ.

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इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से भी चुनाव हार गईं थीं, जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों की संख्या 350 से घट कर सिर्फ 153 पर सिमट गई और 30 वर्षों के बाद केंद्र में किसी ग़ैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ.

जिस तरह से आपातकाल के दो साल के दौरान देश में हालात थे अगर उस हिसाब से देखें तो अगर ये पैंतीस साल तक जारी रहती तो काफी बड़ा प्रभाव पड़ सकता था. इमरजेंसी के दौरान सारी शक्तियां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास थी, ना उनके खिलाफ कोई बोल सकता था और ना ही लिख सकता था.

-इंदिरा जब तक चाहें सत्ता में रह सकती थीं.

-लोकसभा-विधानसभा के लिए चुनाव की जरूरत नहीं थी.

-मीडिया और अखबार को पूरी आजादी नहीं थी.

-सरकार कोई भी कानून पास करा सकती थी.

आपको बता दें कि 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई, जो 21 मार्च 1977 तक जारी रहा. उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी.

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