
हाल के सालों में भारत का सीमाओं पर पड़ोसियों के साथ तनाव बढ़ा है. पहले पाकिस्तान से और अब डोकलाम में चीन के साथ तनाव बढ़ा है. सरकार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को बेहतर सीमा निगरानी के लिए एक समर्पित सैटेलाइट बैंडविथ देने पर विचार कर रही है.
इस सैटेलाइट के पीछे ये विचार है कि यह सीमावर्ती बलों को वास्तविक समय में पाकिस्तानी और चीनी सेनाओं के मूवमेंट पर निगरानी रखने, आतंकवादी घुसपैठ पर रोक लगाने, दूरदराज के इलाकों में प्रभावशाली ढंग से संवाद करने और संपर्क करने में सक्षम करे. इसके अलावा, इससे टकराव के समय सीमा के पास पड़ोसियों द्वारा तैनात सैनिकों और तोपखाने की ताकत का आकलन करने में मदद मिलेगी.
'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय में शीर्ष नौकरशाहों ने हाल ही में बीएसएफ , आईटीबीपी, एसएसबी और इसरो के अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं. इस दौरान यह चर्चा हुई कि क्या सीमाओं पर गतिविधियों की निगरानी के लिए एक सैटेलाइड पर्याप्त होगी या प्रत्येक बल को एक डेडिकेटेड सैटेलाइट प्रदान करने की आवश्यकता है.
यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरणों में है, लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार इसको लेकर गंभीर है. सीमावर्ती प्रबंधन में सैटेलाइट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. हालांकि रक्षा बलों ने पहले से ही अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल किया है, जबकि बॉर्डर बल आईबी, रॉ और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा साझा खुफिया जानकारियों पर निर्भर हैं. उन्हें लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर घाटी जैसे इलाकों में खराब कम्यूनिकेशन जैसे मसलों का भी सामना करना पड़ रहा है. इससे वास्तविक समय की जानकारी के साथ-साथ भविष्य की घटनाओं से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता है. नौसेना के पास एक समर्पित सैन्य उपग्रह, जीएसएटी -7 या 'रुक्मिनी' है, जो हिंद महासागर क्षेत्र की निगरानी करता है.