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सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के ठोस सबूत मांगे हैं कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है. सुप्रीम कोर्ट ने सिगरेट के डिब्बों को अनाकर्षक और बेरंग बनाने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये सवाल किया. कोर्ट ने पूछा कि क्या धूम्रपान से कैंसर होने की बात को पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है.
भारत के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और यूयू ललित की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि 'आप कैसे साबित करेंगे कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है? बहुत से लोग स्मोकिंग नहीं करते, लेकिन उन्हें भी कैंसर हो जाता है. कई लोग ऐसे हैं जो सिगरेट लगातार पीते हैं, लेकिन पूरी जिंदगी स्वस्थ रहते हैं.
कैंसर के मरीज ने की अपील
इस टिप्पणी के बाद खंडपीठ ने इस याचिका पर केंद्र का जवाब मांगा है. यह याचिका इलाहाबाद के 66 वर्षीय वकील उमेश नारायण शर्मा ने दायर की है. वहीं वे खुद गुटखा खाने और सिगरेट पीने के आदी है. उन्हें जीभ का और मुंह का कैंसर हो गया है और मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. उमेश का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक, साल 2020 तक सिगरेट पीने और तंबाकू के सेवन से पूरी दुनिया में लगभग 15 लाख लोगों की मौत हो जाएगी. उन्होंने याचिका में कहा, कि भारत में युवाओं और बच्चों के बीच तंबाकू काफी इस्तेमाल हो रहा है.
आकर्षक पैकिंग धूम्रपान के लिए रिझाती है
याचिकाकर्ता ने कहा कि तंबाकू के उत्पाद काफी अट्रैकटिव पैकेटों में आते हैं, जिन्हें देख कर युवा उनका सेवन करने के लिए आकर्षित हो जाते हैं. ऐसी पैकिंग के कारण लोग सेहत के लिए लिखी चेतावनी को भी नजरंदाज कर देते हैं. चेतावनी को बड़े अक्षरों में लिखने और पैकिंग को बेरंग बनाने से लोग ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल ना करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.