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मुलायम सरकार ने की थी 'गलती', योगी सरकार ने खाई SC में डांट

कोर्ट ने इस मामले में योगी सरकार को तीन हफ्तों में लिखित जवाब पेश करने के लिए कहा है. जस्टिस जे.एस. खेहर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यूपी सरकार से ऐसे अन्य मामलों की जांच कराने के लिए भी कहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

ताजा सीएजी की रिपोर्ट में 2004 में एसपी की सरकार में हुए सरकारी फंड को लेकर घोटाले पर खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक एसपी नेता शिवपाल यादव की सिफारिश पर तात्कालिक यूपी सरकार के जरिए सारे नियमों व कानून को ताख पर रख कर चरण सिंह डिग्री कॉलेज को 100 करोड़ का अनुदान दिया गया. ये उस वक्त की बात है जब मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे और शिवपाल सिंह यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर थे.

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रिपोर्ट में इस बात को भी साफ किया गया है कि चरण सिंह डिग्री कॉलेज को आपदा राहत कोष से 100 करोड़ दिए गए, जोकि वित्तीय नियमों का उल्लंघन है. आपदा राहत कोष का पैसा मुख्यमंत्री अपने विवेक से खर्च करता है. लेकिन सिर्फ प्रदेश में किसी बड़ी आपदा या अप्रत्याशित हालात की स्थिति में ही इस कोष से धन खर्च किया जाना चाहिए. इस रिपोर्ट में सवाल किया गया है कि परिवार के सदस्यों को मिलाकर बनाई गई सोसायटी के चरण सिंह डिग्री कॉलेज को धन आवंटन में कैसी आपदा?

वहीं योगी सरकार ने जब इस पर बचाव करने का प्रयास किया तो सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह मामला पुराना है, लेकिन प्रदेश सरकार कॉलेज की सोसायटी में सरकारी कर्मचारियों को शामिल कर सकती है. जिसके बाद कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि अवैध तरीके से अनुदान के खिलाफ कार्रवाई के बजाय सोसायटी को बचाने की कोशिश क्यों? कोर्ट ने कहा कि निजी सोसायटी में किस नियम के तहत सरकारी कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा?

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कोर्ट ने इस मामले में योगी सरकार को तीन हफ्तों में लिखित जवाब पेश करने के लिए कहा है. जस्टिस जे.एस. खेहर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यूपी सरकार से ऐसे अन्य मामलों की जांच कराने के लिए भी कहा है.

गौरतलब है कि 2005 में मनेंद्र नाथ राय ने कैग रिपोर्ट उजागर होने के बाद सुप्रीमकोर्ट में यूपी सरकार की मनमानी के खिलाफ याचिका दाखिल करते हुए अनुदान वापसी के लिए रिकवरी का आदेश जारी करने का अनुरोध किया था. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सख्त रुख अख्तियार किया है.

 

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