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सोनिया से मिलकर शरद यादव ने दो टूक कहा-राष्ट्रपति चुनाव पर ना करें जल्दबाज़ी

बदले सियासी हालात में अब खुद सोनिया गांधी विपक्षी एकता के लिए काफी सक्रिय हो गई हैं. खुद सोनिया कई विपक्षी नेताओं को फोन करके मिलने के लिए बुला रही हैं.

सोनिया गांधी और शरद यादव सोनिया गांधी और शरद यादव
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

बदले सियासी हालात में अब खुद सोनिया गांधी विपक्षी एकता के लिए काफी सक्रिय हो गई हैं. खुद सोनिया कई विपक्षी नेताओं को फोन करके मिलने के लिए बुला रही हैं. इस क्रम में सबसे पहले सीताराम येचुरी, नीतीश कुमार, डी राजा सरीखे नेता सोनिया से 10 जनपद जाकर मुलाकात कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को सोनिया से मिलकर जेडी यू नेता शरद यादव ने उन्हें सलाह दी कि वे राष्ट्रपति चुनाव पर जल्दबाजी न करें और पहले कश्मीर, सुकमा हमले जैसे मसलों पर कदम उठाएं.

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करीब 45 मिनट तक चली मुलाकात
पिछले दिनों सोनिया ने शरद यादव को भी मिलने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन दिनों यादव दौरे पर थे, लेकिन जैसे ही वह दिल्ली पहुंचे, सोनिया से मिलने 10 जनपथ भी पहुंच गए. मंगलवार को शरद यादव की सोनिया से मुलाकात तकरीबन 45 मिनट तक चली.

मुलाकात के बाद शरद यादव ने आजतक को बताया, 'सोनिया गांधी ने कुछ दिन पहले फोन करके मिलने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद मैं आज दिल्ली पहुंचा तो मैं उनसे मिलने गया.' शरद यादव ने यह भी बताया की सोनिया गांधी से उन्होंने तात्कालिक राजनीतिक हालातों पर चर्चा की, जिनमें कश्मीर, सुकमा नक्सली हमला और राष्ट्रपति चुनाव अहम मुद्दे रहे.

सूत्रों के मुताबिक शरद यादव ने सोनिया गांधी से सबसे पहले विपक्षी एकता के लिए पहल करने की गुजारिश की. साथ ही यह भी कहा कि, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अभी समय है, इसमें जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए. पहले से पत्ते खोलने पर एनडीए सरकार उसका फायदा उठा सकती है. ऐसे में फिलहाल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की नाम की चर्चा के बजाय विपक्षी गोलबंदी की कोशिशें होनी चाहिए. साथ ही ध्यान में रखना चाहिए कि क्या एनडीए सरकार विपक्ष के साथ आपसी सहमति का राष्ट्रपति उम्मीदवार देने की कोई पहल करती है.

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सूत्रों के मुताबिक शरद यादव ने कश्मीर मुद्दे पर पहले विपक्षी एका करके सरकार को घेरने की कवायद करने पर जोर दिया. शरद यादव का कहना था कि सरकार अगर सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाती है तो कांग्रेस को पहल करके विपक्षी दलों को एक पाले में लाकर कश्मीर के मुद्दे पर सरकार को खेलना चाहिए.

कुल मिलाकर कहें तो विपक्षी एका के लिए अब खुद सोनिया ने कोशिशें तेज़ कर दी हैं. लेकिन सियासत में सोनिया के सामने चुनौती भानुमती का कुनबा जोड़ने जैसी है, जिसकी राह हमेशा खासी कठिन होती है और अगर यह जुड़ता भी है तो उसको जोड़े रखना और भी ज़्यादा कठिन हो जाता है.

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