
ये है उन सैकड़ों लोगों में से चुनिंदा लोगों की दिलचस्प कहानियां जो आरबीआई ऑफिस के बाहर घंटों इस इंतजार में खड़े रहे कि शायद उनके मेहनत के पैसे जमा हो जाएं और 1000 व 500 के नोट रद्दी होने से बच जाए.
1: आशा देवी ने 27 हजार रुपये पति से छिपाकर रखे थे. उनके पति को किडनी की बीमारी है, जिसकी वजह से वे नोटबंदी के बाद अस्पताल में थे और आशा देवी बिहार में थी. इसलिए बैंक में पैसे जमा नहीं करा पाईं. पति का कहना है कि ये रुपये जमा नहीं हुए तो अब आगे के इलाज के लिए कर्जा ही लेना पड़ेगा.
2: दीपक के 60 हजार रुपये को दीमक चाट गए. घर में लकड़ी की अलमारी में दीमक लग गए थे, जिस कारण उनके पैसे बैंक में जमा नहीं हो सकते थे. इसलिए आरबीआई में जमा कराने आए थे. दरअसल कटे-फटे और डेमेज नोट बैंक नहीं लेते हैं. लिहाजा इस तरह के नोट सिर्फ आरबीआई में ही जमा करवाए जा सकते हैं.
3: अशोक कुमार ने 2005 से पहले के पुराने रुपयों को कलेक्शन के लिए रखा था, लेकिन अब जमा करना चाहते है क्योंकि इनकी कोई कीमत नहीं है. अशोक के साथ उनके बच्चों को भी पुराने नोट संभल कर रखने का शौक था, लेकिन जब बड़े नोट बंद हो गए तो फिर उन्होंने छोटे पुराने नोट को घर रख लिया और बड़े नोट बैंक में जमा कराने आ गए, लेकिन पैसे जमा नहीं हुए.
4: गोरखपुर के कुशीनगर से आए विनोद आरबीआई ऑफिस आकर बेहद नाराज थे. वो कहते हैं कि साढ़े पांच हजार रुपये उनकी 90 साल की बीमार मां ने दिए हैं. वो इतना लंबा सफर तय करते हुए आए हैं, लेकिन यहां नोट लिए ही नहीं जा रहे हैं. उनका कहना है कि जब मोदी जी वोट मांग सकते हैं, तो नोट वापस क्यों नहीं ले सकते. ये तो मोदी सरकार का लोगों से विश्वासघात है.
5: नेपाली मूल की सरिता ने जब नेपाल से लौटकर सर्दियों के कपड़े निकले, तो पुराने नोटों में 2000 रुपये निकले और उन्हें जमा कराने वे बैंक पहुंचीं, पर पैसे जमा नहीं हुए. सरिता का कहना है कि वो 8 नवंबर से 30 दिसंबर तक नेपाल में थीं.