
बात 2006 के अगस्त महीने की है. सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे. भाजपा ने बतौर स्पीकर उन पर सदन में पक्षपात का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा. इसमें भाजपा के कई बड़े नेताओं के दस्तखत थे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दस्तखत भी थे.
इस पत्र को लेकर काफी हंगामा हुआ. सदन में यूपीए के सदस्यों ने यह मसला उठाते हुए वाजपेयी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाने की बात की. इसी बीच भाजपा के धुर विरोधी नेता और रेल मंत्री लालू यादव भी सदन में आ गए. उन्होंने वाजपेयी के लिए तो कुछ नहीं कहा लेकिन भाजपा पर जमकर सियासी प्रहार किए.
जब एक सदस्य ने बार-बार लालू यादव को यह याद दिलाने की कोशिश की कि, पत्र पर वाजपेयी के भी हस्ताक्षर हैं तो लालू ने चुटीले अंदाज में कहा कि, ‘उनसे तो सिर्फ ठप्पा (हस्ताक्षर) ले लिया गया है पत्र में किसी और ने लिखा होगा’. खैर शोर-शराबे के बाद मामला थम गया लेकिन सोमनाथ चटर्जी इस पत्र को लेकर जितने आहत नहीं थे, उससे अधिक मर्माहत वह इस बात को लेकर थे कि अटल बिहारी वाजपेयी के भी दस्तखत इस पत्र में हैं.
उन्होंने वाजपेयी को फोन मिलाया और इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि, उन्होंने (वाजपेयी ने) पत्र पर हस्ताक्षर किए. क्या वह (सोमनाथ) यानी कि वाजपेयी भी यह मानते हैं कि बतौर अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी भेदभाव करते हैं? सोमनाथ ने कहा, “यदि ऐसा है तो मैं आज ही अपने पद से इस्तीफा देता हूं”.
सोमनाथ की बात सुनकर वाजपेयी ने कहा कि, “कॉमरेड, बतौर भाजपा के सदस्य मैंने पत्र पर दस्तखत किए हैं. यदि दस्तखत नहीं करता तो यह पार्टी के अनुशासन के अनुरूप नहीं होता. लेकिन व्यक्तिगत रूप से यह मैं मानता हूं कि, आप बतौर अध्यक्ष भेदभाव नहीं करते”.
यह सुनकर सोमनाथ ने वाजपेयी से कहा कि, “अगर दस्तखत नहीं करते तो अनुशासन कैसे टूट जाता”. वाजपेयी ने चुटीले अंदाज में कहा कि, “यदि ऐसा है तो वामपंथियों को भोज दो और बतौर भाजपा नेता मुझे भी भोज में आमंत्रित कर के देख लो, कॉमरेड. यदि ऐसा कर लिया तो फिर तुम भाजपा के लिए असेट बन जाओगे”.
यह सुनकर सोमनाथ खिलखिला कर हंस पड़े और वाजपेयी से उनकी नाराजगी दूर हो गई. वाजपेयी को लेकर सोमनाथ चटर्जी का प्रेम किस कदर था यह पूरे देश ने उस वक्त देखा जब 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग होनी थी. वाजपेयी व्हील चेयर पर लोकसभा के गैलरी तक वोट देने पहुंचे थे. जब सोमनाथ चटर्जी को यह बताया गया तो वह लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे थे.
वह वाजपेयी के सदन में आने की बात सुनकर भावुक हो गए और अध्यक्ष की कुर्सी से खड़े होने लगे. इसी बीच मार्शल ने उन्हे ध्यान दिलाया कि आप लोकसभा अध्यक्ष हैं और इस नाते किसी सदस्य के आने पर आप कुर्सी से खड़े नहीं हो सकते. लेकिन टीवी स्क्रीन पर पूरी दुनियां ने यह देखा कि वाजपेयी के आने की बात सुनकर सोमनाथ किस कदर भावुक हो गए थे.