
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने राज्यसभा में संशोधित तीन तलाक बिल पेश होने से पहले शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी का रुख इस मामले पर पहले ही साफ है, अब इस बारे में कुछ स्पष्ट करने की जरूरत नहीं है.
सोनिया गांधी के इस बयान से संकेत मिलते हैं कि तीन तलाक बिल को राज्यसभा से पास करवाने की केंद्र सरकार की कोशिश में मुश्किलें आ सकती हैं. शुक्रवार को मॉनसून सत्र का आखिरी दिन है और सरकार की कोशिश है कि इसे इसी सत्र में पास करवा लिया जाए.
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि यह मामला अब राज्य सभा में है, इसलिए वह इस पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं. यह राज्यसभा के सांसदों पर निर्भर करता है कि वह इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.
वहीं, कांग्रेस के राज्य सभा सांसद हुसैन दलवई ने कहा है कि सभी समुदायों में महिलाओं के साथ गैरबराबरी होती है, ऐसा केवल मुस्लिम समुदाय में नहीं है. हिंदू, ईसाई, सिख आदि समुदायों में भी ऐसा ही हाल है. हर समाज पुरुष प्रधान है. श्रीराम चंद्र ने भी एक बार सीता पर शक करके उन्हें छोड़ दिया था. इसलिए हमें चीजों को संपूर्णता में बदलने की जरूरत है.
आपको बता दें कि कांग्रेस इस बिल को प्रवर समिति के पास के पास भेजने की मांग कर रही है. लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पिछले साल शीतकालीन सत्र में ही ध्वनि मत से पास हो गया था.
गुरुवार को कैबिनेट ने बिल में तीन संशोधनों को मंजूर किया था. जिसमें तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को बेल देने का अधिकार होगा.
साथ ही विधेयक में एक और संशोधन किया गया है जिसमें पीड़ित के रिश्तेदार (जिससे उसका खून का रिश्ता हो) भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं . पति-पत्नी आपस में समझौता भी कर सकते हैं.