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अच्छे मॉनसून से खरीफ फसलों की बुवाई तेज, दलहनी फसलों की बुवाई 41 फीसदी ज्यादा

मॉनसून की झमाझम बारिश का असर इस बार फसलों की बुवाई पर साफ तौर पर दिख रहा है. रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 47 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस बार खरीफ सीजन में पूरे देश में 29 जुलाई तक 799 लाख हेक्टेयर के रकबे में बुवाई दर्ज की गई है. जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 752.29 लाख हेक्‍टेयर था.

मानसून से अच्छी हुई फसल मानसून से अच्छी हुई फसल
सबा नाज़/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 10:17 PM IST

मॉनसून की झमाझम बारिश का असर इस बार फसलों की बुवाई पर साफ तौर पर दिख रहा है. रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 47 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस बार खरीफ सीजन में पूरे देश में 29 जुलाई तक 799 लाख हेक्टेयर के रकबे में बुवाई दर्ज की गई है. जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 752.29 लाख हेक्‍टेयर था.

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खरीफ फसल की बुवाई ज्यादा रहने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है वो है जून और जुलाई में हुई अच्छी बारिश. मॉनसून सीजन की बारिश ने जुलाई में जोर पकड़ा है और इससे किसानों ने खरीफ की फसलों की बढ़-चढ़कर बुवाई की.

दाल की कीमतों में आएगी गिरावट
दाल की बढ़ी हुई कीमतों से सभी परेशान हैं. लेकिन इस बार अच्छे मॉनसून और चढ़ी हुई कीमतों की वजह से दलहन फसलों की बुवाई जोरदार रह रही है. इस साल दलहन के बुवाई रकबे में 41 फीसदी की जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल 29 जुलाई तक दालों की बुवाई 78.25 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी. लेकिन खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 110.35 लाख हेक्टेयर रहा है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि दाल की बढ़ी हुई कीमतों के चलते किसान दाल बोने की तरफ आकर्षित हुए हैं. इसका सीधा सा असर ये होगा कि नवंबर-दिसंबर तक दाल कीमतों में बढ़े हुए उत्पादन के चलते गिरावट आएगी.

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किसानों की लागत घटेगी
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और इसकी मॉनसून पर निर्भरता काफी हद तक है. इस बार अच्छी बारिश के चलते देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 225.68 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 231.92 लाख हेक्टेयर रहा है. यानी धान उत्पादक राज्यों में जोरशोर से बुवाई हो रही है. धान की बुवाई बेहतर रहने इसके उत्पादन में बढ़ोतरी होना तय है अभी कई इलाकों में बुवाई हो रही है. मौसम विभाग का कहना है कि इस बार अगस्त और सितंबर में मॉनसून की बारिश जोरदार रहेगी. लिहाजा किसानों की लागत भी घटेगी.

गन्ने की फसल पर नहरीं पड़ा ज्यादा असर
मोटे अनाजों की खरीफ बुवाई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 6 लाख हेक्टेयर बढ़कर 150.76 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. सरसों और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों का बुवाई रकबा भी खरीफ सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले 12 लाख हेक्टेयर बढ़कर 159.78 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं दूसरी तरफ गन्ने की बात करें तो इसका बुवाई रकबा कमोबेश पिछले साल के बराबर 46.83 लाख हेक्टेयर रहा है.

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