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नरेश अग्रवाल घिरे तो अखिलेश यादव ने दी अच्छी विदेश नीति अपनाने की सलाह

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि ''अच्छी विदेश नीति अच्छे सम्बन्ध बनाती है, ख़ास तौर से पड़ोसी देशों से. लेकिन वर्तमान सरकार की विदेशी नीति चौतरफ़ा टकराव को जन्म दे रही है. शांति, सहयोग और सह अस्तित्व के सिद्धांत के बिना विकास संभव नहीं होता शायद इसीलिए भाजपा सरकार विकास के मुद्दे पर लगातार असफल होती दिख रही है.''

अखिलेश यादव अखिलेश यादव
अंकुर कुमार
  • नई दिल्ली ,
  • 27 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:38 PM IST

कुलभूषण जाधव पर सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बयान की चारों तरफ से निंदा होने पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके बचाव में आगे आना पड़ा. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने हालांकि सीधे नरेश अग्रवाल का बचाव नहीं किया, लेकिन केंद्र को बेहतर विदेश नीति अपनाने की सलाह दे डाली.

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि ''अच्छी विदेश नीति अच्छे सम्बन्ध बनाती है, ख़ास तौर से पड़ोसी देशों से. लेकिन वर्तमान सरकार की विदेशी नीति चौतरफ़ा टकराव को जन्म दे रही है. शांति, सहयोग और सह अस्तित्व के सिद्धांत के बिना विकास संभव नहीं होता शायद इसीलिए भाजपा सरकार विकास के मुद्दे पर लगातार असफल होती दिख रही है.''

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आपको बता दें कि कुलभूषण जाधव से उसके परिवार की मुलाकात के बाद जहां भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से का माहौल है, वहीं समाजवादी पार्टी के एक नेता ने इस मसले पर ऐसा बयान दिया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है. सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने जाधव के साथ पाकिस्तान के रवैये को सही ठहराया है. नरेश अग्रवाल ने कहा है, 'अगर उन्होंने (पाकिस्तान) कुलभूषण जाधव को आंतकवादी माना है, तो वो उस हिसाब से ही व्यवहार करेंगे.'

हालांकि इस बयान को लेकर जब बवाल मचना शुरू हुआ तो नरेश अग्रवाल ने सफाई दी कि उनके कहने का मतलब यह नहीं था. बाद में उन्होंने राज्यसभा में सभापति को चिट्ठी देकर पाकिस्तान की जेल में बंद सभी भारतीय लोगों को छुड़ाने के कदम उठाने की भी मांग कर डाली. लेकिन तमाम सांसद नरेश अग्रवाल के इस बयान से काफी भड़के हुए थे.

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वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नरेश अग्रवाल के बयान को वोट की खातिर दिया गया शर्मनाक बयान कहा. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तो कहा की राज्यसभा में नरेश अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करके उनके इस बयान के लिए उनसे माफी मांगने को कहना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें सदन से निष्कासित कर देना चाहिए.

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