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को-पायलट को निकालकर एयरहोस्टेस को कॉकपिट में बैठाया, पायलट बर्खास्त

स्पाइसजेट की कोलकाता से बैंकॉक जा रही फ्लाइट में 28 फरवरी को यह वाकया हुआ था. पायलट ने लौटते वक्त भी उस हरकत को दोहराया. अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए उसने साथी पायलट को बाहर भेज दिया. इसे एक तरह से सीरियस सेफ्टी ब्रीच माना जा रहा है.

स्पाइसजेट की उडान में 28 फरवरी को हुआ सेफ्टी ब्रीच स्पाइसजेट की उडान में 28 फरवरी को हुआ सेफ्टी ब्रीच
केशव कुमार/मनोज शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 10:16 AM IST

स्पाइसजेट ने अपने एक पायलट को नौकरी से निकाल दिया. पायलट पर उड़ते प्लेन में एक एयरहोस्टेस को कॉकपिट के अंदर पायलट सीट पर बैठाने का आरोप है. इस दौरान पायलट ने अपने को-पायलट को कॉकपिट के बाहर भेज दिया. स्पाइसजेट की एक इंटरनेशनल फ्लाइट के कॉकपिट के अंदर दोनों ने लंबा वक्त गुजारा. नियम के मुताबिक किसी अनाधिकृत शख्स को पायलट की सीट पर नहीं बैठाया जा सकता है.

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इंटरनेशनल फ्लाइट में सीरियस सेफ्टी ब्रीच
स्पाइसजेट की कोलकाता से बैंकॉक जा रही फ्लाइट में 28 फरवरी को यह वाकया हुआ था. पायलट ने लौटते वक्त भी उस हरकत को दोहराया. अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए उसने साथी पायलट को बाहर भेज दिया. इसे एक तरह से सीरियस सेफ्टी ब्रीच माना जा रहा है. फ्लाइट की चीफ ऑफ एयरहोस्टेस ने अपने स्तर से मामले की जांच करने के बाद इसकी शिकायत डायरेक्टोरेट ऑफ सिविल एविएशन (डीडीसीए) से की.

सस्पेंड हो सकता है पायलट का लाइसेंस
इसके बाद स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय शाह ने पायलट को नौकरी से निकाल दिया. इस सख्त कदम से यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ के आरोपी को गंभीर सजा दिए जाने की पहल की गई.- जानकारी के मुताबिक इस पायलट का लाइसेंस सस्पेंड किया सकता है. डीजीसीए चीफ एम. सत्यावती ने कहा कि हम इस मामले में कार्रवाई करेंगे. अगर आरोप सही पाए गए तो पायलट का लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है, ताकि फिर वह कोई अन्य फ्लाइट भी न उड़ा पाए.

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मामले से जुड़े सभी बयान रिकॉर्ड
स्पाइसजेट के जीएम कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अजय जसरा ने कहा कि मामले की जांच चल रही है. मामले से जुड़े सभी लोगों के बयान रिकॉर्ड किए गए हैं. पायलट को नौकरी से निकाल दिया गया है. हमारे स्पाइसजेट में हर कर्मचारी को बराबर मौके मिलते हैं. उन्होंने कहा कि हम किसी भी रूप में जेंडर बायस नहीं हैं. हमारी इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी द सेक्शुअल हैरेसमेंट ऑफ विमेन एट वर्कप्लेस एक्ट, 2013 के तहत मामले की जांच करेगी. गाइडलाइन के मुताबिक हम जांच शुरू भी कर चुके हैं.

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