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आधार लिंक: सुप्रीम कोर्ट का निश्चित समयसीमा बढ़ाने से इनकार

देश की शीर्ष अदालत ने 13 मार्च को बैंक खातों और मोबाइल फोन नंबरों को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार और उसकी एजेंसियों को इस कोष से चलने वाली योजनाओं का लाभ उठाने वालों के 12 अंकों वाली आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान संख्या को जोड़ने की अनुमति दे दी थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार
  • नई दिल्ली ,
  • 27 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कल्याणकारी योजनाओं के साथ आधार को लिंक करने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ाने का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. यह आदेश उन योजनाओं के लिए आए है, जिनके लिए समेकित कोष से नागरिकों को लाभ दिया जाता है.

देश की शीर्ष अदालत ने 13 मार्च को बैंक खातों और मोबाइल फोन नंबरों को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार और उसकी एजेंसियों को इस कोष से चलने वाली योजनाओं का लाभ उठाने वालों के 12 अंकों वाली आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान संख्या को जोड़ने की अनुमति दे दी थी.

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मंगलवार को UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने अपना पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन पूरा किया. उन्होंने दावा किया कि बायोमेट्रिक समेत जमा किए हुए डेटा को डिक्रिप्ट (डिकोड) करने में सदियां लग जाएंगी.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं. इसके बाद, सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा31 मार्च से आगे बढ़ाने की अनुमति देने का अनुरोध किया.

इस प्रजेन्टेशन में मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दावा किया था कि सरकारी प्रणाली में आधार के सत्यापन की सफलता 88 फीसदी है. इसी तर्क के सहारे आधार योजना का विरोध कर रहे एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथ ने कहा कि इसका मतलब तो यह हुआ कि 12 प्रतिशत लोग आधार से जुड़ी योजनाओं के लाभ से बाहर हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह करीब14 करोड़ नागरिक इस लाभ से वंचित रहेंगे.

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विश्वनाथ ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं की 31 मार्च की समय सीमा बढ़ाने के लिये भी अंतिरम आदेश की आवश्यकता है. अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इसका जोरदार विरोध करते हुये कहा कि किसी को भी इससे बाहर नहीं किया गया है. ऐसा एक भी मामला नहीं है जिसमें आधार नहीं होने के कारण किसी को इन लाभों से वंचित किया गया हो.

इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इस समय कोई आदेश नहीं देंगे.' पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना जवाब देते समय इस पहलू पर बहस कर सकते हैं. आधार और इससे संबंधित कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब तीन अप्रैल को सुनवाई होगी जब अटार्नी जनरल आगे बहस शुरू करेंगे.

पैन कार्ड को आधार से जोड़ने की समयसीमा हुई 30 जून

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पैन को आधार से जोड़ने की समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून कर दिया है. कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने इस समयसीमा को बढ़ाने का आदेश जारी किया है. अभी तक यह समयसीमा 31 मार्च थी.

आदेश में कहा गया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन- आधार को जोड़ने की समयसीमा बढ़ाई जा रही है. समझा जाता है कि सीबीडीटी का ताजा आदेश उच्चतम न्यायालय के इसी महीने आए आदेश के मद्देनजर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार को विभिन्न अन्य सेवाओं से जोड़ने की 31 मार्च की समयसीमा को बढ़ाने का आदेश दिया था.

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यह चौथा मौका है जबकि सरकार ने लोगों को अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) को बायोमीट्रिक पहचान आधार से जोड़ने की समयसीमा बढ़ाई है. सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने और नया पैन लेने के लिए आधार नंबर को देना अनिवार्य कर दिया है.

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