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हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या से सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान बेंच ने साफ कर दिया हैं कि वो हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या नहीं करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या किए जाने की मांग करते हुए अर्जी लगाई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
सबा नाज़/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान बेंच ने साफ कर दिया हैं कि वो हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या नहीं करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या किए जाने की मांग करते हुए अर्जी लगाई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है.

1995 में दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदुत्व एक जीवन शैली यानि जीने का तरीका है, कोई धर्म नहीं. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले की फिर से समीक्षा करने की मांग की थी. तीस्ता ने मांग की थी कि पांच राज्यों में चुनाव सामने हैं. ऐसे में चुनावों में इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने कहा कि वह हिंदुत्व शब्द की व्याख्या के बड़े मुद्दे पर विचार नहीं कर रहे हैं. संविधान बेंच केवल इसकी समीक्षा कर रही है कि राजनेताओं और धार्मिक नेताओं का गठजोड़, जनप्रतिनिधत्व कानून के तहत वैध है या नहीं.

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