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लोकपाल की नियुक्ति पर SC में फैसला सुरक्षित, केंद्र ने कहा- दखल ना दे कोर्ट

लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में 7 जनहित याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दे.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
अहमद अजीम/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में 7 जनहित याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दे. मंगलवार को करीब दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता कॉमन कॉज की तरफ से वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार जान-बूझकर कर लोकपाल की नियुक्ति में देरी कर रही है.

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जल्द हो लोकपाल की नियुक्ति
शांति भूषण ने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है और वो नियुक्ति करना ही नहीं चाहती है. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लंबित रखा जाए ताकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर नजर रख सके. इस देश में कानून का राज खत्म हो गया है. एक याचिकाकर्ता ने कहा कि सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष मान लिया जाए ताकि लोकपाल की नियुक्ति हो सके. लोकपाल एक ऐसा कानून है जो नागरिकों के हक को मजबूत करता है इसलिए लोकपाल की नियुक्ति जल्द से जल्द होनी चाहिए.

सरकार के काम में दखल ना दे कोर्ट
दूसरी तरफ सरकार ने संसद में लंबित संशोधनों का हवाला दिया. सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से संसद के काम में दखल ना देने आग्रह किया. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि संसद के मौजूदा सत्र के दौरान लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है क्योंकि ये बजट के लिए तय सत्र है. रोहतगी ने कहा कि केंद्र सरकार अगले सत्र में लोकपाल की नियुक्ति कर सकती है.

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नियुक्ति के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी
लोकपाल बिल में 20 संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जो अभी तक लंबित हैं इसलिए फिलहाल ये नहीं हो सकता. रोहतगी ने कहा कि नियुक्ति के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है और फिलहाल कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है. कॉमन कॉज की तरफ से शांति भूषण ने बहस करते हुए कहा कि ये बहुत गलत और सोचनीय है कि औपचारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष ना होने की वजह से लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती.

सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को करें शामिल
शांतिभूषण ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति संसद के बाहर की प्रक्रिया है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष औपचारिक रूप से ना भी हो तो सबसे बड़े विरोधी दल के नेता को शामिल करके नियुक्ति की जा सकती है. ऐसा प्रावधान कानून में है इसलिए नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लोकपाल की नियुक्ति जल्द हो. पूरी सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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