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सुप्रीम कोर्ट ने UIDAI से पूछाः आधार में डाटा संरक्षित करने का इंतजाम क्या है?

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कैंब्रिज एनालिटिका की नज़ीर देते हुए कहा कि देखिए उन्होंने कैसे इतनी बड़ी तादाद में लोगों का डाटा शेयर किया. जुकरबर्ग ने तो अमेरिकी कांग्रेस में इसे स्वीकार भी किया है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 1:52 AM IST

आधार मामले में सुनवाई के दौरान नागरिकों के डाटा की सुरक्षा और दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि सवा अरब से ज़्यादा भारतीयों की जौविक और भौगोलिक जानकारी का डाटा व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए तो जैसे सोने की खदान है.

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्प्णी और चिंता पर यूआईडीएआई ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. इसे शेयर नहीं किया जा सकता. शेयर करने वाले को कड़ी सजा का प्रावधान है.

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इस पर जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने पूछा कि सवा अरब से ज़्यादा यानी 1.3 मिलियन नागरिकों का डाटा रखा जाता है. मुमकिन है कि कई गरीब भी होंगे, लेकिन इसे व्यावसायिक नज़रिए से इस्तेमाल करने के मकसद से शेयर या लीक करना सोने की खान हाथ लगने जैसा ही है. यहां तक कि इसमें दर्ज कराई गई छोटी-छोटी जानकारी का खुलासा भी काफी मायने रखता है.

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कैंब्रिज एनालिटिका की नज़ीर देते हुए कहा कि देखिए उन्होंने कैसे इतनी बड़ी तादाद में लोगों का डाटा शेयर किया. जुकरबर्ग ने तो अमेरिकी कांग्रेस में इसे स्वीकार भी किया है.

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि आज निगरानी के मायने बदल गए है. हम पर निगरानी किसी की नज़रों से नहीं बल्कि व्यावसायिक निगरानी हो रही है. उस नज़रिए से हमारी निजी जानकारी शेयर हो रही है. वो भी हमारी मंज़ूरी के नाम पर.

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने यूआईडीएआई से कहा कि वो मंगलवार को होने वाली सुनवाई में ये बताए कि आखिर सूचनाएं कैसे सुरक्षित और संरक्षित हैं. उनको लीक या शेयर करने से बचाने के क्या इंतज़ाम किए गए हैं.

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