
आरजेडी के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की जमानत को लेकर बीजेपी ने बिहार सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को खुलासा किया और सिलसिलेवार ढंग से बताया कि आखिर कैसे और किन परिस्थितियों में शहाबुद्दीन को जमानत दी गई.
सुशील मोदी के मुताबिक, शहाबुद्दीन ने सीवान के एडीजे के यहां याचिका दाखिला कर बताया कि वो बेहद गरीब हैं और उसके पास मुकद्दमा लड़ने के लिए पैसे नहीं है. इसलिए उनके केस को लड़ने के लिए सरकारी वकील मुहैया करवाया जाए. सीवान के एडीजे ने 18 जुलाई 2013 को शहाबुद्दीन की याचिका मंजूर करते हुए सरकारी वकील मुहैया कराने का आदेश दे दिया. लेकिन सरकारी वकीलों के पैनल में शहाबुद्दीन को कोई काबिल वकील नहीं लगा, इसलिए पैनल से बाहर के वकील अभय कुमार राजन को उन्होंने अपना केस लड़ने के लिए रखा. सीवान की कोर्ट ने इसकी भी मंजूरी दे दी.
हाई कोर्ट ने एडीजे के आदेश पर लगाई रोक
सुशील मोदी ने आगे बताया, 'सीवान कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और शहाबुद्दीन की सम्पति के दास्तावेज कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि लीगल सर्विस अथॉरिटी के सेक्सन-11 के तहत उनको सरकारी खर्च पर मनपसंद वकील रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इस पर पटना हाई कोर्ट ने एडीजे सीवान के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. पटना हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि इसकी सूचना शहाबुद्दीन को डाक के माध्यम से दे दी जाए. पटना हाई कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी लिखा कि शहाबुद्दीन के कोर्ट में सशरीर उपस्थिति के बाद केस को सूचीबद्ध किया जाए.'
नहीं हो सकी शहाबुद्दीन की कोर्ट में पेशी
सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि पिछले तीन साल से शहाबुद्दीन के जेल में रहने के बाबजूद आज तक शहाबुद्दीन को पटना हाई कोर्ट के नोटिस का तामिल नहीं करवाया गया, जिसका परिणाम ये हुआ कि शहाबुद्दीन की कोर्ट में पेशी भी नहीं हो सकी और केस को सूचीबद्ध नहीं किया जा सका. मोदी ने कहा कि सीवान कोर्ट के आदेश पर रोक, नोटिस का तामिल ना होना और कोर्ट में पेशी नहीं होने के कारण सीवान कोर्ट में शहाबुद्दीन के खिलाफ सारे केस के ट्रायल बंद पड़े रहे.
सुशील मोदी ने उठाए सवाल
बीजेपी नेता ने सरकार से पूछा कि शहाबुद्दीन को पटना हाई कोर्ट के नोटिस का तामिल क्यों नहीं करवाया गया? शहाबुद्दीन को कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया गया, जबकि वो सीवान जेल में ही थे? तीन साल तक शहाबुद्दीन के खिलाफ चल रहे सारे मामलों मे दो को छोड़कर सभी मामलों में ट्रायल क्यों बंद रहा? ट्रायल को प्रारंभ कराने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किया? मोदी ने कहा कि जिन मामलों मे ट्रायल बंद है उसमें से कई मामले ऐसे हैं जिसमें मृत्यु तक कारावास की सजा मिल सकती है. मोदी ने कहा कि अगर ट्रायल में रुके मामले में सजा मिल जाती तो शहाबुद्दीन को फिर से निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक जमानत के लिए जाना पड़ सकता था.