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दक्ष‍िण में BJP के विजय रथ को रोकने के लिए फ्रंट बनाने में लगे चंद्रबाबू नायडू

एनडीए से बाहर होने के बाद अब चंद्रबाबू नायडू दक्ष‍िण भारतीय राजनीतिक दलों का एक मोर्चा बनाने की कोश‍िश में लग गए हैं. उनका लक्ष्य बीजेपी का विजय रथ दक्ष‍िण में रोकना और केंद्र में किसी की भी सरकार बनने पर किंगमेकर बनना है.

टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू (फोटो: रायटर्स) टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू (फोटो: रायटर्स)
दिनेश अग्रहरि/राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर टीडीपी अब एनडीए में वापसी का रास्ता बंद कर चुकी है. टीडीपी के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ एक 'दक्ष‍िणी मोर्चा' बनाने पर काम कर रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार, नायडू ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और उन्होंने तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के राजनीतिक दलों के साथ संपर्क किया है. उन्होंने अपनी पार्टी के कई अन्य नेताओं को भी यह काम सौंपा है कि वे इन दलों के शीर्ष नेताओं से लगातार संपर्क बनाए रखें, ताकि इस विचार पर काम आगे बढ़े. सूत्रों का कहना है कि अगर नायडू की योजना कारगर रही तो बीजेपी दक्षिण के राज्यों में गठबंधन नहीं बना पाएगी.

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टीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'टीडीपी प्रमुख ने 20 जुलाई के अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल अपनी ताकत आकने के लिए किया था. पार्टी के कई नेताओं को इस काम में लगाया गया था कि वे कांग्रेस या जो दल किसी मजबूरी की वजह से टीडीपी के साथ नहीं रह सकते, उनको छोड़कर बाकी दक्षिण के सभी दलों से बात करें.

दक्षिणी दलों का मोर्चो बनाने का यह विचार कारगर रहा तो इससे नायडू को काफी राजनीतिक फायदे हो सकते हैं. इस प्रस्तावित मोर्चे में शामिल होने वाले राजनीतिक दलों की मोलतोल की क्षमता बढ़ जाएगी. एक समूह के रूप में वे केंद्र में बीजेपी या तीसरे मोर्चे आदि से चुनाव पूर्व या चुनाव बाद साझेदारी के लिए बेहतर तरीके से मोलतोल कर सकते हैं.

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डीएमके के एक वरिष्ठ नेता ने, जिनसे टीडीपी ने संपर्क किया, बताया, 'हममें से ज्यादातर एक राज्य में केंद्रित पार्टी हैं और किसी भी राज्य में एक-दूसरे के सामने नहीं खड़े हैं. यह मोर्चा बना तो टीडीपी केंद्र में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और वह अपनी पार्टी को भी अच्छा फायदा दिला सकते हैं. दक्ष‍िण के अन्य दलों के मुकाबले टीडीपी के पास ज्यादा अनुभव है. नायडू के पास बीजेपी सरकार के सहयोगी के रूप में केंद्र सरकार में रहने का अनुभव है.'

ऐसा माना जा रहा है कि इससे नायडू अपने राज्य के अल्पसंख्यकों में भी जनाधार बढ़ा सकेंगे. इस तरह वह सीधे कांग्रेस के खेमे में जाने से भी बच जाएंगे.

असल में, अविश्वास प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए नायडू ने अपने दल में छह टीमें बनाईं थीं. प्रत्येक टीम में तीन से चार वरिष्ठ नेता शामिल थे. इसी के तीसरे समूह ने दक्ष‍िण में DMK, AIADMK,  जनता दल जैसे दलों के नेताओं से संपर्क किया था. इस समूह ने एम.के. स्टालिन, कनिमोड़ी, एच.डी. कुमारस्वामी और एच.डी. देवगौड़ा जैसे नेताओं से संपर्क किया था.

सूत्रों के अनुसार, इन नेताओं ने अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन के साथ ही दक्षिण के संभावित मोर्चे के बारे में भी बात की थी. असल में बीजेपी के साथ रहने की वजह से टीडीपी को तीसरे मोर्चे में शामिल करने को लेकर भी दूसरे दलों में हिचक है, ऐसे में वह अपने नए मोर्चे के साथ केंद्र में प्रभावी दखल की तैयारी कर रहे हैं.

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