
स्पेनिश टैल्गो ट्रेन के अब तक हुए ट्रायल से रेल मंत्रालय संतुष्ट है, लेकिन रेल बोर्ड का कहना है कि टैल्गो को मौजूदा स्वरुप में कतई नहीं चलाया जा सकता है. इसके डिब्बों की चौड़ाई भारतीय ट्रैक के हिसाब से नहीं है. इसके अलावा इस बात को लेकर भी संशय है कि टैल्गो स्पीड के लिहाज से खरी उतरने के बाद भी मैदान मार पाएगी या नहीं.
रेल मंत्रालय का कहना है कि उनके पास सिंगल पार्टी को बिना टेंडर कोई ऑर्डर देने का नियम नहीं है. लिहाजा अगर ऐसा होता भी है तो हमें अपने जरूरतों के अनुरूप टेंडर सभी कंपनियों के लिए ओपन करने होंगे. हाल फिलहाल में इसकी कोई जरूरत नहीं दिख रही है.
150 किमी/घंटा की स्पीड से होगा ट्रायल
टैल्गो ट्रेन को लेकर रेल मंत्रालय जिस तरह से गुलाठी मार रहा है, उससे सीधा संकेत यहीं मिल रहा है कि टैल्गो के ट्रायल ठीक-ठाक रहने के बावजूद सरकार फैसला लेने में ठिठक रही है. कारण ये है कि जिन कमियों को रेल बोर्ड आज गिना रहा है, उनके बारे में टैल्गो के ट्रायल से पहले उनको जानकारी थी. ऐसे में टैल्गो का निकट भविष्य में भारतीय ट्रैक पर दौड़ पाना टेढ़ी खीर दिख रहा है. उधर रेल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली से
मुंबई के बीच टैल्गो ट्रेन का आखिरी ट्रॉयल 14 अगस्त को किया जाएगा. 14 अगस्त को टैल्गो ट्रेन को 150 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड पर चलाकर देखा जाएगा.
गौरतलब है कि बरेली और मुरादाबाद के बीच विदेशी डिब्बों से बनी ट्रेन को भारतीय इंजन की ताकत से 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर 29 मई से 11 जून तक चलाकर देखा गया है, और इससे मिली तमाम जानकारी का आरडीएसओ ने विश्लेषण किया है. उसके बाद जुलाई में मथुरा और पलवल के बीच टैल्गो कोचों को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर परखा गया. इसके बाद अगस्त महीने में टैल्गो ट्रेन को दिल्ली मुंबई के बीच चला कर देखा जा रहा है. आरडीएसओ के इंजीनियर्स ने ताल्गो की ट्रेन को भारतीय ट्रैक पर फिट पाया है. स्पेन की कंपनी ताल्गो ने भारत में ट्रायल रन के लिए नौ रेल डिब्बों को बार्सिलोना से मुंबई बीते अप्रैल में पहुंचाया था. ताल्गो के रेल डिब्बे पानी के जहाज से आए थे.
कंपनी ने अपने खर्च पर भेजे डिब्बे
ताल्गो कंपनी 70 साल पुरानी कंपनी है और इस कंपनी को सेमी हाई स्पीड यानी 160-250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों और हाई स्पीड यानी 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों की मैन्यूफैक्चरिंग में महारत हासिल है. स्पेन में ताल्गो की बनाई तेज रफ्तार ट्रेने चलती हैं. भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने के लिए ताल्गो कंपनी ने अपनी तकनीक ऑफर की है और इस तकनीक के प्रदर्शन के लिए खुद अपने खर्च पर कंपनी ने डिब्बे भेजे हैं.
भारतीय डिब्बों की तुलना में तीन गुना महंगे कोच
ताल्गो कंपनी के डिब्बों की खासियत ये है कि ये तेज घुमावदार मोडों पर भी तेज रफ्तार से चल सकते हैं. ताल्गो डिब्बों में भारतीय रेल के मुकाबले आधे से भी कम चक्के लगे हैं. मसलन एक रेल डिब्बे में आठ चक्के लगाए जाते हैं. लेकिन ताल्गो के प्रति डिब्बे में दो चक्के लगे होते हैं. इसके अलावा ताल्गो के डिब्बे एल्यूमिनियम के बने होने की वजह से भारतीय रेल डिब्बों के 68 टन के वजन के मुकाबले महज 16 टन के ही होते हैं. लेकिन इनकी कीमत की बात करें तो भारतीय रेल डिब्बों के मुकाबले इनकी कीमत तीन गुने से ज्यादा पड़ेगी.