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10 सेकेंड में जवानों ने खुद को किया सतर्क, बाल-बाल बचे CRPF के 10 जवान

CRPF का दस्ता बासागुड़ा थाने के अंतर्गत आने वाले तरेम मार्ग पर था. पहाड़ियों से घिरा यह इलाका बेहद खतरनाक है. करीब ही जगरगुंडा मार्ग पर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है. लिहाजा आवाजाही के इस मार्ग पर नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को उड़ाने के लिए भारी भरकम IED प्लांट कर दी.

सीआरपीएफ के जवान सीआरपीएफ के जवान
सुरभि गुप्ता/सुनील नामदेव
  • बीजापुर,
  • 30 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:58 PM IST

बीजापुर में CRPF के दस जवानों की जान जाते-जाते बची, हालांकि हादसे के आखरी दस सेकंड में जवानों ने खुद को सतर्क कर लिया और किस्मत ने भी उनका साथ दिया. नतीजतन 14-14 किलो की तीन बारूदी सुरंगों में विस्फोट नहीं हो पाया. CRPF की 168 बटालियन के जवान इस घटना के वक्त सर्चिंग में थे. दुर्घटना से बाल-बाल बचने के साथ ही उन्होंने साहस का परिचय दिया और 14 किलो वजनी तीन IED को पूरी सतर्कता के साथ निकाला और नष्ट किया. ये विस्फोटक किसी भी लैंडमाइन व्हीकल के परखच्चे उड़ाने के लिए काफी थे.

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सतर्कता से टाला बड़ा हादसा

CRPF का दस्ता बासागुड़ा थाने के अंतर्गत आने वाले तरेम मार्ग पर था. पहाड़ियों से घिरा यह इलाका बेहद खतरनाक है. करीब ही जगरगुंडा मार्ग पर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है. लिहाजा आवाजाही के इस मार्ग पर नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को उड़ाने के लिए भारी भरकम IED प्लांट कर दी. ये बारूदी सुरंगे कब बिछाई गईं, इसका अभी पता नहीं चला है. फिलहाल जवान भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि अंतिम क्षणों में उन्होंने उनके आगे बढ़ते कदमों को रोक दिया.

बारूदी सुरंगों और प्रेशर बम का जोखिम बढ़ा

हालांकि दूसरी घटना कल्याण  इलाके में हुई. यहां DRG का एक जवान प्रेशर बम की चपेट में आने से घायल हो गया. विस्फोट होते ही इस जवान के पीछे चल रहे बाकी जवानों ने मोर्चा लेकर खुद को सुरक्षित किया. घायल जवान का नाम जयमन बताया जा रहा है. हादसे में उसके पैर और शरीर के कई अंग जख्मी हो गए. उसे जंगल से निकाल कर दंतेवाड़ा के सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया.

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बारिश के मौसम से असमान्य हुई जंगल की जमीन

दरअसल बारिश के मौसम में  जंगल के भीतर के कई रास्ते ऊबड़खाबड़ हो गए. रास्तों में पानी की वजह से बहकर आई मिटटी जमी है. ऐसे में जमीन के किस हिस्से में प्रेशर बम या बारूदी सुरंगे बिछी हुई हैं. इसका अंदाजा लगा पाना बेहद कठिन होता है, जरा सी चूक जानलेवा साबित होती है. हालांकि जैसे-जैसे धूप कड़ी होगी, वैसे-वैसे मिट्टी का उबड़- खाबड़ हिस्सा दबता चला जाता है. इससे सुरक्षा बल अंदाजा लगा लेते हैं कि जमीन सामान्य है या फिर माओवादियों ने खोद कर उसके भीतर IED प्लांट कर दी है.

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