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इन वजहों से असम में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बने सोनोवाल

सीएम उम्मीदवार बनाए गए सोनोवाल के हक में कई अहम बातों का योगदान रहा है. पूर्वोत्तर के प्रमुख राज्य असम में इसके पहले बीजेपी कभी ताकत में निर्णायक ताकत में नहीं रही.

बीजेपी नेता सर्बानंद सोनोवाल बीजेपी नेता सर्बानंद सोनोवाल
केशव कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

बीजेपी ने असम विधानसभा चुनाव में अपने चेहरे का ऐलान कर दिया. वहां केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. बीजेपी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और बिहार में सीएम उम्मीदवार का एलान नहीं किया था. वहीं दिल्ली में आखिरी वक्त पर किरण बेदी को सामने लाया गया था. इन राज्यों में मिली जुली जीत और दिल्ली, बिहार में करारी हार के असम में समय रहते रणनीति बदली गई है.

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सीएम उम्मीदवार बनाए गए सोनोवाल के हक में कई अहम बातों का योगदान रहा है. पूर्वोत्तर के प्रमुख राज्य असम में इसके पहले बीजेपी कभी ताकत में निर्णायक ताकत में नहीं रही. केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद देश के पूर्वी हिस्सों में पहुंच बनाने के लिए बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है. यहां पेश है सोनोवाल को उम्मीदवार बनाए जाने की सबसे अहम वजहें -

1. केंद्र सरकार ने अपने नेताओं की उम्र को लेकर एक मानक तय किया है. बीजेपी इसपर गंभीर दिखने की कोशिश कर रही है. ऐसे में 54 साल के सोनोवाल का नाम सामने आना स्वाभाविक है.
2. लखीमपुर से सांसद सर्बानंद सोनोवाल साल 2012 और 2014 में दो बार असम बीजेपी के अध्यक्ष रहे. इसलिए राज्य इकाई में उनकी पैठ गहरी मानी जा रही है.
3. साल 2014 में हुए आम चुनाव में बीजेपी ने असम में बेहतर प्रदर्शन किया था. इसके पीछे सोनोवाल की राजनीतिक सूझबूझ को क्रेडिट दिया गया है.
4. सोनोवाल के पास छात्र राजनीति का भी व्यापक अनुभव है. वह असम गण परिषद के स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
5. राज्य के 14 लोकसभा सीटों में 7 पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी वहां सभी 126 सीटों पर लड़ना चाहती है. अगप और बीजेपी में रहते हुए सोनोवाल की सीधी पहुंच सभी सीटों तक है.
6. साल 1992 से राजनीति में सक्रिय सोनोवाल ने हमेशा राज्य में ही रहकर आंतरिक राजनीति की. सभी दलों के नेताओं से उनके निजी परिचय हैं. चुनाव बाद की रणनीति में इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
7. मोरन से विधायक और बाद में डिब्रुगढ़ और लखीमपुर से सांसद रहने के साथ ही राज्य में गृह मंत्री और उद्योग-वाणिज्य मंत्री रहने से सोनोवाल की राज्य की प्रशासनिक पर जबरदस्त पकड़ मानी जाती है.
8. केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं. पूर्वोत्तर में फुटबॉल प्रेम के प्रभाव से कोई अपरिचित नहीं होगा.
9. सोनोवाल ने ही असम में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की अगुवाई की है. इन हालातों में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी पूरा समर्थन मिला है.
10. आखिर में सबसे अहम बात, सर्बानंद सोनोवाल बहुत अच्छे वक्ता माने जाते हैं. उनकी भाषण कला के प्रशंसक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी रहे हैं. बीजेपी में सोनोवाल के आते ही कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया था. वह असम बीजेपी के प्रवक्ता भी रहे हैं.

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