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इजरायल का बदला, गाजा पट्टी में दागे रॉकेट, तीन घायल

गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर इजराइली बमबारी में तीन लोग घायल हो गये हैं, इनमे से एक की हालत गंभीर बतायी जा रही है. फिलिस्तीनी सुरक्षा एवं चिकित्सा सेवा ने यहूदी राष्ट्र में रॉकेट हमले के कई घंटे बाद यह जानकारी दी थी. 

फिलिस्तान फिलिस्तान
केशवानंद धर दुबे/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर इजराइली बमबारी में तीन लोग घायल हो गये हैं, इनमे से एक की हालत गंभीर बतायी जा रही है. फिलिस्तीनी सुरक्षा एवं चिकित्सा सेवा ने यहूदी राष्ट्र में रॉकेट हमले के कई घंटे बाद यह जानकारी दी थी. 

सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि इजराइल के हवाई विमान ने कल रात उत्तरी गाजा पट्टी में हमास के दो सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसके कारण उनका काफी नुकसान हुआ है. 

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गाजा सिटी में शिफा अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि हमले में घायल तीन लोगों का इलाज किया जा रहा है. 26 साल के एक व्यक्ति की हालत नाजुक भी है. उसके सिर में छर्रे लगे हैं. 

इजराइल की सेना ने हमले की पुष्टि की है और कहा है कि उन्होंने कुछ घंटे पहले गाजा से किये गये रॉकेट हमले के बदले यह हमला किया है. 

सेना के प्रवक्ता ने बताया कि उस दुर्घटना में कोई नुकसान अथवा क्षति नहीं हुई है.

ये तो साफ है कि इजराइल और इस्लामी चरमपंथी हमास के बीच में गाजा के साथ 2008 से  अभी तक कुल तीन जंग हो चुकी हैं. 

इजराइल को यकीन है कि गाजा पट्टी पर उसकी जमीनी कार्रवाई से मौजूदा संकट का हल खोजने में मदद मिलेगी. सवाल ये है कि जो आग पिछले 66 साल या कहें उससे भी पहले से धधक रही है वो जंग से कैसे शांत हो सकती है. इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का खूनी इतिहास यही कहता है कि जंग मसलों का हल नहीं है. 8 जुलाई से गाजा पट्टी जंग की आग में जल रहा है. जब से इजराइल ने हमास में रॉकेट हमलों के जवाब में हवाई हमले शुरू किए है. लेकिन हकीकत ये है कि ये इलाका पिछले 66 साल से जल रहा है यानी जब से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने माहौल में यहूदियों के लिए एक अलग मुल्क की मांग उठ रही थी. 

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यहूदी पश्चिम एशिया के उस इलाके में अपना हक जातते थे, जहां सदियों पहले यहूदी धर्म का जन्म हुआ था. यही वो जमीन थी जहां ईसाईयत का जन्म हुआ। बाद में इस्लाम के उदय से जुड़ा इतिहास भी यहीं लिखा गया.

यहूदियों के दावे वाले इसी इलाके में मध्यकाल में अरब फिलिस्तीनियों की आबादी बस चुकी थी. 1922 से ये इलाका  ब्रिटिश हुकूमत के कब्जे में था फिर भी यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच, यहां दबदबे को लेकर गृहयुद्ध जारी था. इसी माहौल में 30 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र ने यहूदियों और अरबों के लिए विवाद वाले इलाके में बंटवारे की योजना को सहमति दे दी... समझौते के मुताबिक 15 मई 1948 को इलाके से ब्रिटेन ने अपना कब्जा छोड़ दिया और दुनिया का नक्शा बदल गया.

 

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