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उन्नाव रेप केस: पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत मामले पर फैसला टला

उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में तीस हजारी कोर्ट में फैसला टल गया है. इस मामले की सुनवाई कर चुके विशेष जज धर्मेश शर्मा अब 4 मार्च को फैसला सुनाएंगे.

उन्नाव रेप केस का दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (फाइल फोटो- IANS) उन्नाव रेप केस का दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (फाइल फोटो- IANS)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

  • पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई थी मौत
  • 4 मार्च को तीस हजारी कोर्ट सुनाएगा फैसला
  • आजीवान कारावस की सजा भुगत रहा सेंगर

उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में तीस हजारी कोर्ट में फैसला टल गया है. इस मामले की सुनवाई कर चुके विशेष जज धर्मेश शर्मा अब 4 मार्च को फैसला सुनाएंगे. इस मामले में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल, अशोक सिंह भदौरिया, उप निरीक्षक कामता प्रसाद, सिपाही आमिर खान और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय कर रखा है. इस मालमे में कुल 11 आरोपी हैं.

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नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म मामले में अदालत ने भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी मानते हुए 20 दिसंबर 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में 9 अप्रैल 2018 में मौत हो गई थी.

सीबीआई ने इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य कई लोगों पर पीड़िता के पिता की हत्या का चार्जशीट दाखिल किया और इसी पर बहस की. इस मामले से जुड़े 8 केस से जुड़े अन्य मामलों के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली ट्रांसफर किया गया था.

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55 गवाहों के बयान हुए दर्ज

इस मामले में सीबीआई ने आरोपों को साबित करने के लिए पीड़िता के चाचा, मां, बहन व पिता के सहकर्मी समेत 55 गवाहों के बयान दर्ज करवाए तो वहीं बचाव पक्ष ने नौ गवाहों को पेश किया . सीबीआई के मुताबिक तीन अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता के साथ आरोपी शशि प्रताप सिंह ने झगड़ा किया था. सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि मृतक व उसका सहकर्मी उस दिन अपने गांव माखी लौट रहे थे.

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किन धाराओं के तहत हुई है सेंगर को सजा?

दरअसल 4 जून 2017 को रेप पीड़िता ने तत्कालीन बीजेपी विधायक सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था. बाद में रायबरेली में सड़क हादसे में रेप पीड़िता को कथित तौर पर जान से मारने की कोशिश भी की गई थी. कुलदीप सेंगर को धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (बलात्कार और अन्य संबंधित धाराओं) और POCSO के तहत दोषी ठहराया गया था.

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