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उरी हमला: आतंकियों के गाइड पाकिस्तानी बच्चे 10वीं के स्टूडेंट, घरवालों ने कहा- रास्ता भटक गए थे

अखबार ने पकड़े गए इन दो बच्चों में से एक के परिवार वालों से बात की है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों बच्चों ने पूछताछ में यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने भारत में घुसपैठ में पाकिस्तानी आतंकियों की मदद की थी.

आतंकियों से लोहा ले रहे भारतीय जवान आतंकियों से लोहा ले रहे भारतीय जवान
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

जम्मू-कश्मीर के उरी में हमला करने वाले आतंकियों के साथ पकड़े गए दो पाकिस्तानी बच्चे दसवीं के स्टूडेंट हैं और वे रास्ता भटककर सीमा के इस पार चले आए थे. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर में यह बताया गया है. अखबार ने पकड़े गए इन दो बच्चों में से एक के परिवार वालों से बात की है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों बच्चों ने पूछताछ में यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने भारत में घुसपैठ में पाकिस्तानी आतंकियों की मदद की थी.

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चार आतंकी हुए थे ढेर
उरी के 12 इनफैंट्री ब्रिगेड के मुख्यालय पर लश्कर के चार आतंकियों ने हमला किया था. इस घातक आतंकी हमले में हमारे देश के 19 सैनिक शहीद हो गए थे और चार हमलावर आतंकियों को ढेर कर दिया गया था. अखबार से बातचीत में एक बच्चे के परिवार वालोंऔर उसके स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि वह रास्ता भटकर सीमापार चला गया था. पाक अधकिृत कश्मीर के कूमी कोट गांव के पास स्थित पोथा जंदगरन निवासी फैजल हुसैन अवान और उसके मुजफ्फराबाद के हट्टियां बला तहसील स्थित खिलायना खुर्द निवासी एहसान खुर्शीद को भारतीय सेना ने आतंकी हमलों के तीन दिन बाद 21 सितंबर को गिरफ्तार किया था. ये दोनों गांव उरी के पास नियंत्रण रेखा से करीब एक घंटे पैदल की दूरी पर स्थ‍ित हैं. सेना ने 24 सितंबर को कहा था कि दोनों किशोर 'पाक अध‍िकृ‍त कश्मीर के रहने वाले हैं और जैश-ए-मुहम्मद के लिए काम करते हैं. एनआइए ने कहा है कि अभी इन दोनों बच्चों से और पूछताछ की जा रही है.

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भारत सरकार से उम्मीद
फैसल अवान के भाई और लाहौर में डॉक्टर गुलाम मुस्तफा तबस्सुम ने बताया कि दोनों 17 सितंबर को घर पर ही थे, जिस दिन नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी के जीपीएस आंकड़ों के मुताब‍िक आतंकी नियंत्रण रेखा पार कर रहे थे. तबस्सुम ने कहा, 'मैं कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने मीडिया से संपर्क नहीं किया. मैं उसका बड़ा भाई हूं और मुझे उसका बचाव करना है. मैं नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए. मैं सिर्फ यह उम्मीद कर सकता हूं कि भारत में ऊंचे पदों पर बैठे लोग हमारी कहानी पढ़ें और उन बच्चों को वापस उनके घर भेज दें.' मुजफ्फराबाद के शाहीन मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल बशारत हुसैन बताते हैं कि अवान साइंस का स्टूडेंट है और हाल में ही उसने हाईस्कूल फर्स्ट डिवीजन से पास किया है. वह एक अच्छा और सम्मानित छात्र है. दस्तावेजों के मुताबिक दोनों किशोर की उम्र 16 साल है.

तबस्सुम ने बताया कि 20 सितंबर को देर से उठने की वजह से अवान स्कूल नहीं गया. दोपहर में उसने पीर कंठ मजार जाकर मत्था टेकने का निर्णय लिया. शायद शॉर्टकट जाने के चक्कर में दोनों बच्चे भटककर नियंत्रण रेखा के उस पार चले गए. उस दिन जब शाम तक अवान नहीं लौटा तो परिवार के लोग काफी परेशान होने लगे, क्योंकि वह इसके पहले कभी भी रात में कहीं बाहर नहीं रुकता था. परिवार वालों ने 22 सितंबर को मुजफ्फराबाद जाकर पुलिस में शिकायत दर्ज की. इसी तरह एहसान खुर्शीद के भी घर वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. एहसान खुर्शीद स्कूल की तरफ से पिकनिक गया था और अपने ग्रुप से छूट गया.

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