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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- राजनीति में नहीं होनी चाहिए दुश्मनी

उपराष्ट्रपति ने कहा, 'सियासी दलों को याद रखना चाहिए कि वे एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं न कि दुश्मन. आज की राजनीति की यह सबसे निराशाजनक तस्वीर है, जहां लोग एक-दूसरे को दुश्मन मान बैठते हैं. हमें समझना चाहिए कि हरेक दल अपने अनुसार बेहतर करने की कोशिश करता है.'

वेंकैया नायडू वेंकैया नायडू
कुमार विक्रांत/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2018,
  • अपडेटेड 10:47 PM IST

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि राजनीति में दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीति में इतनी दु्श्मनी नहीं होनी चाहिए कि एक पार्टी के लोग दूसरी पार्टी के लोगों के यहां शादी-ब्याह या मातम में न शामिल हों.

दरअसल, उपराष्ट्रपति कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की किताब 'स्ट्रैट टॉक' के लोकार्पण के अवसर पर दिल्ली में बोल रहे थे. वेंकैया नायडू ने बगल में बैठीं डीएमके की सांसद कनिमोझी की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'राजनीति में इतनी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए, जैसी तमिलनाडु में है, जहां से कनिमोझी आती हैं. ऐसी स्थिति देश के कई हिस्सों में देखने को मिलती है, जहां एक पार्टी के लोग दूसरे के यहां शादियों और मरने पर भी नहीं जाते हैं.'

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उपराष्ट्रपति ने कहा, 'सियासी दलों को याद रखना चाहिए कि वे एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं न कि दुश्मन. आज की राजनीति की यह सबसे निराशाजनक तस्वीर है, जहां लोग एक-दूसरे को दुश्मन मान बैठते हैं. हमें समझना चाहिए कि हरेक दल अपने अनुसार बेहतर करने की कोशिश करता है.'

उन्होंने कहा, 'पार्टियों के बीच संबंधों को लेकर बहस होनी चाहिए. किसने कहा कि हमें सिर्फ सरकार का समर्थन या विरोध करना चाहिए, लेकिन कम से कम हर मसले पर चर्चा तो होनी ही चाहिए.'

वहीं कनीमोझी ने वेंकैया के बयान पर 'आज तक' से कहा- 'पहले ऐसा होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अम्मा कैंटीन सही से नहीं चल रही लेकिन फिर भी हम उस कांसेप्ट का स्वागत करते हैं.'

ईवीएम को बताया विश्वसनीय

नायडू ने कहा कि पांच साल पहले अभिषेक मनु सिंघवी ने 'कैंडिड कॉर्नर' नाम से एक किताब लिखी थी, लेकिन अब इन्होंने 'स्ट्रैट टॉक' लिखी है जो मौजूदा समय की राजनीतिक तस्वीर को बताती है. उपराष्ट्रपति ने कहा, 'वास्तव में यह हमारे लिए चुनौती है कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में 25 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं.'

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नायडू ने देश में चुनावी प्रक्रिया को लेकर भी विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा, 'चुनाव संबंधी शिकायतों को निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए. सामान्य तौर पर होता यह है कि संसद या विधानसभा सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद फैसले आते हैं.'

उपराष्ट्रपति ने ईवीएम को चुनाव कराने का सही जरिया बताया. उन्होंने कहा, 'अभिषेक मनु सिंघवी की किताब में साफ-साफ लिखा है कि तमाम आरोपों के बावजूद ईवीएम से चुनाव कराना सबसे अधिक विश्वसनीय है और इससे लगभग सही सही नतीजे आते हैं.'

बाद में अभिषेक मनु सिंघवी ने ईवीएम के मसले पर सफाई दी. उन्होंने कहा, 'मेरे जिस लेख का उपराष्ट्रपति ने जिक्र किया है, वह 4-5 साल पुराना है. पिछले 3-4 सालों में ईवीएम को लेकर तमाम गड़बड़ियां सामने आई हैं. कैराना सामने है, इसके पहले भी तमाम शिकायतें सामने आती रही हैं. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के साथ हूं, आज मेरी वही राय है.'

गौरतलब है कि कांग्रेस, बसपा और सपा समेत विपक्ष के तमाम दल ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर अक्सर सवाल उठाते रहते हैं. कांग्रेस ईवीएम के बजाय बैलट पेपर से चुनाव कराने की भी मांग कर चुकी है.

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