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विकास दुबे केस: UP सरकार पर SC ने उठाए सवाल, 'ये एक केस नहीं, सिस्टम की बात'

विकास दुबे एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा है कि ये एक मामले की बात नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है.

विकास दुबे मामले में SC में हुई सुनवाई (फाइल: PTI) विकास दुबे मामले में SC में हुई सुनवाई (फाइल: PTI)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

  • विकास दुबे मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • एनकाउंटर मामले की जांच कमेटी में होगा बदलाव

उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसवालों को मारने के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत उत्तर प्रदेश सरकार के तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखी और कई बार यूपी सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए. चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने कहा कि हमें इस बात पर हैरानी है कि आखिर इतने मामलों का मुजरिम पैरोल पर बाहर कैसे था.

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उत्तर प्रदेश सरकार पर अदालत ने क्या कहा?

दरअसल, विकास दुबे एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी दलील में इस मुठभेड़ को सही बताया. यूपी सरकार ने कहा कि वो पैरोल पर था और जब पकड़ा गया तो पुलिस की गिरफ्त से भागने की कोशिश की, इस दौरान आत्मरक्षा में पुलिस ने उसपर फायरिंग की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इन तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखा और सरकार पर सवालों की बौछार कर दी.

सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार है, ऐसे में इस मामले में ट्रायल होना चाहिए था. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हैरानी है कि जिस व्यक्ति पर इतने मामले दर्ज हो, वो बेल पर कैसे बाहर हो सकता है और फिर इस तरह की हरकत कर सकता है. बता दें कि विकास दुबे करीब 60 से अधिक मामलों में नामित था.

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इसी के साथ अदालत ने विकास दुबे से जुड़े सभी फैसलों की रिपोर्ट तलब की, जिसमें शुरुआत से लेकर अबतक के केस की जानकारी मांगी. साथ ही सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ये पूरा मामला दिखाता है कि सिस्टम किस तरह फेल है, ये सिर्फ एक मामले की बात नहीं है.

SC ने पूछा- विकास दुबे इतना शातिर था तो पैरोल कैसे मिली? एनकाउंटर पर भी सवाल

अब जांच कमेटी में शामिल होंगे SC के रिटायर्ड जज

उत्तर प्रदेश सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि वो जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को शामिल करना चाहते हैं, जिसके बाद यूपी सरकार ने कमेटी में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी करने की बात कही है.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में तर्क दिया गया कि पुलिसकर्मियों ने अपने आत्मरक्षा में हथियार चलाया. दलील दी गई कि ये मामला तेलंगाना एनकाउंटर से अलग है, पुलिसकर्मियों के भी अपने कुछ अधिकार होते हैं.

यूपी डीजीपी की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों को मार दिया, जब मुठभेड़ हुई तो वो मारा गया. अब आगे इसपर सवाल होते हैं तो पुलिसकर्मियों का मनोबल टूट सकता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कहा है कि उन्हें नहीं लगता है कि कानून लागू होने से पुलिसकर्मियों का मनोबल टूट सकता है.

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गौरतलब है कि विकास दुबे और उसके साथियों ने कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसवालों को मार दिया था, जिसके बाद एक हफ्ते तक उसकी तलाश हुई थी. विकास दुबे उज्जैन में पुलिस के हाथ में आया, जब उसे STF की टीम वापस ला रही थी तो कानपुर के पास वो एनकाउंटर में मारा गया. पुलिस का बयान था कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे भागने की कोशिश कर रहा था और इस दौरान उसने पुलिस पर फायरिंग की.

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