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वायरल टेस्ट: क्या केरल की लेफ्ट सरकार ने 'शिवलिंग' को हटाने की कोशिश की? जानिए सच

‘आजाद भारत’ के फेसबुक पेज पर 7 जुलाई को अपलोड पोस्ट में आरोप लगाया गया कि केरल सरकार हिंदुओं के मंदिरों को गिरा रही है. क्या वो किसी चर्च या मस्जिद को गिरा सकते हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
सना जैदी/खुशदीप सहगल/आनंद पटेल
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

आस्थावानों के लिए ये दृश्य बेचैन करने वाला हो सकता है कि एक बुजुर्ग महिला शिवलिंग जैसे निर्माण के पास बिलख रही है और पुलिस, कुछ लोग उस निर्माण को ज़मीन से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.

भावनाओं का उफान दिखाने वाले इस वीडियो को ‘आजाद भारत’  के नाम वाले फेसबुक पेज पर हाल ही में अपलोड किया गया. सोशल मीडिया पर वायरल इस पोस्ट पर शीर्षक दिया गया कि केरल की कम्युनिस्ट सरकार हिन्दू मंदिरों को गिरा रही है. जाहिर है नाराजगी जताते हुए पोस्ट पर कमेंट का तांता लग गया. कुछ कमेंट में सीधे राज्य में सीपीएम की अगुआई वाली लेफ्ट फ्रंट सरकार के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया.  

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इंडिया टुडे के वायरल टेस्ट टीम ने वीडियो की पड़ताल की तो पाया कि संबंधित फेसबुक पेज पर जानबूझ कर घटना के स्थान को गलत बताया गया. ऐसा संभवत: इसलिए किया गया कि केरल में लेफ्ट सरकार के खिलाफ हिन्दुओं में आक्रोश भड़काया जा सके. वायरल टेस्ट में पाया गया संबंधित फुटेज केरल की नहीं बल्कि तमिलनाडु की है.

‘आजाद भारत’ के फेसबुक पेज पर 7 जुलाई को अपलोड पोस्ट में आरोप लगाया गया कि केरल सरकार हिंदुओं के मंदिरों को गिरा रही है. क्या वो किसी चर्च या मस्जिद को गिरा सकते हैं? पोस्ट पर आए कुछ कमेंट्स को नीचे दिया जा रहा है जिनमें कम्युनिस्ट सरकार को अगले विधानसभा चुनाव में केरल से उखाड़ देने की बात तक कही गई.  

वायरल टेस्ट टीम ने फुटेज को बारीकी से देखा तो पाया कि घटनास्थल से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए जिस वैन का इस्तेमाल किया गया उस पर VKT हाईवे पेट्रोल (NH45C)  लिखा देखा जा सकता है. VKT  का इस्तेमाल विक्रावंडी, कुम्भाकोणम और थंजावुर के लिए किया गया है जो तीनों ही तमिलनाडु में मौजूद है. जाहिर है फुटेज में दिख रही हाईवे वैन केरल में पेट्रोलिंग नहीं कर रही थी. 

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वायरल टेस्ट की पड़ताल में सामने आया कि 2013 से 2016 के बीच तमिलनाडु में VKT हाइवे के पास व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. तब NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की ओर से सड़क निर्माण प्रोजेक्ट के रास्ते में आने वाले कुछ प्राचीन मंदिरों को हटाने या दूसरी जगहों पर पुनर्स्थापित करने की कोशिश की थी.

विल्लुपुरम और कुंभाकोणम जिलों में कम से कम दो प्रदर्शन हुए थे, जिनमें स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इंडिया टुडे ने इतिहासविद डॉ के बालासुब्रामणियन से इस संबंध में बात की. उन्होंने NHAI को चोला युग के शिव मंदिर को हटाने की कोशिश के खिलाफ चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने तब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता के सामने भी ये मुद्दा उठाया था. विल्लुपुरम में भी लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद 1300 साल पुराने शिव मंदिर को हटाने की कोशिश से हाथ वापस खींच लिए थे.  

वायरल टेस्ट से साफ हुआ कि ‘आजाद भारत’ के फेसबुक पेज पर दुर्भावना के तहत फर्जी दावे के साथ पोस्ट को अपलोड किया गया.  

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