
पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी तक इस बारे में कुछ साफ नहीं किया है कि वह केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना में शामिल होगी या नहीं. पीएम मोदी की इस महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना को अगस्त महीने से लागू किया जाना है.
गौरतलब है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत लोगों को 5 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाएगा. यह लाभ उन्हीं को मिलेगा जो समय से इसका प्रीमियम जमा करते रहेंगे और सरकारी अस्पतालों में इलाज कराएंगे.
राज्य की मुखिया ममता बनर्जी के पास स्वास्थ्य मंत्रालय का भी प्रभार है. ममता बनर्जी ने ऐसी कई वजहें बताईं हैं जिनकी वजह से इस योजना को लागू नहीं किया जा सकता.
दिलचस्प यह है कि राज्य सरकार ने दो साल पहले ही इसी तरह की एक 'स्वास्थ्य साथी' योजना लॉन्च की है जिसमें सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले सभी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुफ्त इलाज का लाभ दिया जाता है. पिछले कुछ वर्षों में राज्य के अस्पतालों में नए बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है और अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं.
राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल बजट को 15 गुना और दवाओं के बजट को 13 गुना तक बढ़ा दिया है.
राज्य विधानसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. निर्मल माझी ने कहा, 'आयुष्मान भारत में गरीबों के लिए जिन कई योजनाओं की बात की गई है, वह पहले से ही इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं और मेरा मानना है कि भारत सरकार हमारे राज्य सरकार की योजना को ही अपना रही है. अभी हमें राज्य सरकार से इस पर राय का इंतजार है. हमने चिकित्सा क्षेत्र में जबर्दस्त सुधार किए हैं.'
आयुष्मान भारत के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और असहाय परिवारों (अनुमानतः 50 करोड़ लाभार्थी) को जोड़ा जाना है. प्रति परिवार और प्रति साल पांच लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा. पहले से चली आ रही दो स्वास्थ्य योजनाओं- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना- का आयुष्मान भारत में विलय हो जाएगा. योजना के मुताबिक देश की 40 फीसदी आबादी बीमा लाभ के दायरे में आ जाएगी.
देश के 20 राज्यों ने केंद्रीय योजना को अपने यहां लागू करने की सहमति दे दी है.