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योगेंद्र यादव का डैमेज कंट्रोल ! श्रीकृष्ण को बताया 'पूर्णावतार'

हिंदुओं के आराध्य श्रीकृष्ण पर प्रशांत भूषण की विवादित टिप्पणी के बाद अब डैमेज कंट्रोल के लिए स्वराज इंडिया के दूसरे प्रमुख नेता योगेंद्र यादव को आगे आना पड़ा है. योगेंद्र ने एक फेसबुक पोस्ट में श्रीकृष्ण की तमाम खूबियों को बताते हुए कहा कि तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं में सिर्फ कृष्ण को ही 'पूर्णावतार' कहा गया है.

प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST

हिंदुओं के आराध्य श्रीकृष्ण पर प्रशांत भूषण की विवादित टिप्पणी के बाद अब डैमेज कंट्रोल के लिए स्वराज इंडिया के दूसरे प्रमुख नेता योगेंद्र यादव को आगे आना पड़ा है. योगेंद्र ने एक फेसबुक पोस्ट में श्रीकृष्ण की तमाम खूबियों को बताते हुए कहा कि तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं में सिर्फ कृष्ण को ही 'पूर्णावतार' कहा गया है.

गौरतलब है कि इसके पहले प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट कर कहा था, 'रोमियो ने तो केवल एक से प्यार किया था, जबकि भगवान कृष्ण तो लड़कियों को छेड़ने के लिए मशहूर थे, क्या यूपी के सीएम आदित्य नाथ के अंदर हिम्मत है कि वो एंटी रोमियो स्क्वॉड को एंटी कृष्ण स्क्वॉड कहेंगे?’

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प्रशांत के इस ट्वीट के बाद काफी हंगामा हुआ और उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल होना पड़ा. एक बीजेपी नेता ने तो उन्हें चाटा लगाने वाले को इनाम तक देने की घोषणा कर दी है.

प्रशांत भूषण की सफाई
बाद में अपने इस ट्वीट पर सफाई देते हुए प्रशांत ने कि उनके ट्वीट को गलत अर्थ में पेश किया गया, और वे सिर्फ ये कहना चाहते थे कि रोमियो ब्रिगेड के तर्क के मुताबिक भगवान कृष्ण भी छेड़छाड़ करने वाले प्रतीत होंगे. उन्होंने कहा, 'वैसे मैं धार्मिक नहीं हूं, लेकिन मेरी मां धार्मिक थीं. मैं बचपन से ही भगवान कृष्ण की लोककथाएं सुनकर बड़ा हुआ हूं. मेरे घर में राधा-कृष्ण की पेंटिंग लगी हुई है.'

मैं धर्म का तिरस्कार नहीं करता...
इस पर काफी विवाद और स्वराज इंडिया की छवि खराब होने को देखते हुए ही शायद योगेंद्र यादव को आगे आना पड़ा. उन्होंने फेसबुक पर लंबी टिप्पणी में लिखा है- 'मैं परंपरागत अर्थ में धार्मिक नहीं हूं. यानी पूजा-पाठ नहीं करता, कर्मकांड से बचता हूं, अपने से मंदिर-मस्जिद में नहीं जाता, लेकिन धर्म का तिरस्कार नहीं करता, उसके महत्व को नहीं नकारता. किसी की आस्था का अनादर नहीं करता, चाहे वो आस्था भगवान के किसी निर्गुण या सगुण रूप में हो, किसी महापुरुष में हो या किसी ग्रन्थ में. इसलिए जब कोई साथी किसी मंदिर, गुरुद्वारे, चर्च या दरगाह ले जाता है, या फिर किसी मूर्ति पर माला चढ़ाने को कहता है तो मैं ना नहीं करता, लेकिन बचपन से ही अध्यात्म के प्रति आकर्षण रहा है. यह तो साफ़ था कि जीवन का अर्थ केवल भौतिक सुख-सुविधा या उपलब्धियों में नहीं है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ रही है, वैसे-वैसे अपने अंतर्मन से बेहतर सम्बन्ध बनाने का महत्व समझ आने लगा है. इस उद्देश्य और अपने धर्म को समझने के लिए पिछले कुछ समय से मैं नियमित रूप से भगवत गीता को पढ़ रहा हूं. गीता पर गांधीजी और विनोबा की टीका से भी सीख रहा हूं.'

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देवता किसी जाति का नहीं होता...
योगेंद्र यादव की जाति से कृष्ण को जोड़ते हुए लोग इस बात को लेकर काफी जिज्ञासु थे कि आख‍िर यदुवंशी कृष्ण के बारे में उनके क्या विचार हैं, इस पर टिप्पणी करते हुए योगेंद्र ने लिखा है- ' यह सब कहने का संदर्भ कल सुबह से छिड़ा विवाद है. आज दिन भर कई साथियों ने मुझसे भगवान कृष्ण और हिन्दू धर्म पर मेरे विचार पूछे. कई लोगों ने यदुवंशी होने के नाते श्रीकृष्ण से मेरे विशेष सम्बन्ध का हवाला दिया. यह बात मेरे गले नहीं उतरती, क्योंकि कोई महापुरुष या देवता किसी जाति विशेष की संपत्ति नहीं होता.'

उन्होंने लिखा है- 'कई लोगों ने जी भर के गाली-गलौच की, हिन्दू विरोधी, कम्युनिस्ट और जो मुंह में आया वो कहा. गालियों का तो क्या जवाब दूं, बस उम्मीद कर सकता हूं कि जब उनका गुस्सा ठंडा हो जाएगा, तो वो देख पाएंगे कि मेरे विचार उनकी छवि से ठीक विपरीत हैं. मैंने पिछले पच्चीस साल से वामपंथियों की इसी बात पर आलोचना की है की वे भारतीय समाज और संस्कृति नहीं समझ पाए. अंग्रेज़ीदां बुद्धिजीवियों में भारतीय परम्पराओं और हिन्दू धर्म को गाली देने का जो फैशन चला है, उसका मैंने बार-बार विरोध किया है. '

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श्रीकृष्ण को ही 'पूर्णावतार' क्यों कहा गया...
योगेंद्र यादव ने आगे लिखा है-' दरअसल इस सवाल पर सोचने में मुझे राममनोहर लोहिया से बहुत मदद मिली है. हमारी संस्कृति के मुख्य प्रतीकों के बारे में उन्होंने विस्तार से लिखा. मैं सोचता था कि हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं में श्रीकृष्ण को ही 'पूर्णावतार' क्यों कहा गया? लोहिया में मुझे इसका उत्तर मिलता है। उनके कुछ उद्धरण पेश हैं:

'रास का कृष्ण और गीता का कृष्ण एक है.'

'कृष्ण उसी तत्त्व और महान प्रेम का नाम है जो मन को प्रदत्त सीमाओं से उलांघता-उलांघता सबमें मिला देता है, किसी से भी अलग नहीं रखता.'

'त्रेता का राम ऐसा मनुष्य है जो निरंतर देव बनने की कोशिश करता रहा... द्वापर का कृष्ण ऐसा देव है जो निरंतर मनुष्य बनने की कोशिश करता रहा. उसमें उसे सम्पूर्ण सफलता मिली. कृष्ण सम्पूर्ण और अबोध मनुष्य है...'

'राम त्रेता के मीठे, शांत, सुसंस्कृत युग का देव है. कृष्ण पके, जटिल, तीखे और प्रखर बुद्धि युग का देव है. राम गम्य है, कृष्ण अगम्य.'

'त्रेता का राम हिंदुस्तान की उत्तर-दक्षिण एकता का देव है. द्वापर का कृष्ण देश की पूर्व-पश्चिम एकता का देव है.'

'मैं समझता हूं कि अगर नारी कभी नर के बराबर हुई है तो सिर्फ ब्रज में और कान्हा के पास.'

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'मिलो ब्रज की रज में पुष्पों की महक, दो हिंदुस्तान को कृष्ण की बहुरूपी एकता.'

अब देखना यह होगा कि योगेंद्र यादव के इस डैमेज कंट्रोल से नाराज लोगों का गुस्सा कितना शांत होता है.

 

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