
2019 लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के लिए सीटों की कुर्बानी देने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर राजनीति गरमा गई है. भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के इस बयान को चुनाव से पहले हार मानने वाला बताया है.
रविवार को मैनपुरी में अखिलेश ने कहा था कि गठबंधन के लिए वह त्याग को तैयार हैं और अगर उन्हें गठबंधन करने के लिए दो-चार सीटें कम पर भी समझौता करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे. अखिलेश के इस बयान पर बीजेपी ने कहा है कि जूनियर पार्टनर बनकर उन्होंने पहले ही हार मान ली है. बीजेपी का कहना है कि सपा यूपी में पहले नंबर दो की पार्टी थी और अब वह नंबर तीन हो जाएगी.
सपा ने क्या कहा
समाजवादी पार्टी ने कहा है कि अखिलेश यादव ने जिस त्याग की बात की है उसका सबसे बड़ा मकसद बीजेपी को हराना है. सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा कि हमे चाहे जो भी कुर्बानी देनी पड़े, हम बीजेपी को हराएंगे. दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि मायावती से उनकी कितनी निभेगी, अभी चुनाव आने तक इंतजार कीजिए.
कांग्रेस ने क्या कहा
अखिलेश यादव के बयान को कांग्रेस ने दूरदर्शिता वाला बताया है. कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने कहा कि अखिलेश के बयान से यह संदेश मिलता है कि 2019 में हर हाल में महागठबंधन होकर रहेगा. उन्होंने कहा कि गोरखपुर, फूलपुर के बाद कैराना और नूरपुर ने दिखा दिया है कि एकसाथ मिलकर बीजेपी को परास्त किया जा सकता है.
बता दें कि मायावती ने कैराना लोकसभा उपचुनाव के पहले साफ कर दिया था कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. मायावती के इस बयान को राजनीतिक तौर पर एक बड़े बयान के तौर पर देखा जा रहा था, जिसमें उन्हें बड़ा पार्टनर मानने की एक जिद निहित थी. इसके बाद अब अखिलेश ने समझौते के लिए सीटों की कुर्बानी देने तक की बात कह डाली है.