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आधी रात को जेल से हुई भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण की रिहाई, BJP के खिलाफ खोला मोर्चा

सहारनपुर के शब्बीरपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से चंद्रशेखर उर्फ रावण सहारनपुर जेल में बंद थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रावण को जमानत भी दे दी थी. लेकिन सहारनपुर डीएम की अनुशंसा पर उनके ऊपर रासुका लगने की वजह से रिहाई नहीं हो पाई थी.

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण
राम कृष्ण
  • सहारनपुर,
  • 14 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:27 AM IST

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को सहारनपुर की जेल से रिहा कर दिया गया है. उनको मई 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासूका) के तहत जेल भेजा गया था. रावण को गुरुवार रात 2:30 बजे जेल से रिहा किया गया. इससे पहले बुधवार को योगी सरकार ने रावण को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था.

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रावण की रिहाई के दौरान भीम आर्मी के समर्थक काफी संख्या में जेल के बाहर जमा रहे. जेल के चारों तरफ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. पुलिस की जीप में रावण को जेल से बाहर निकाला गया. रावण को 16 महीने बाद जेल से रिहा किया गया है. कई राजनीतिक दल लगातार इनकी रिहाई की मांग कर रहे थे.

रिहा होते ही बीजेपी पर बोला करारा हमला

वहीं, सहारनपुर की जेल से रिहाई के तुरंत बाद चंद्रशेखर रावण ने सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला. रावण ने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को हराना है. बीजेपी सत्ता में तो क्या विपक्ष में भी नहीं आ पाएगी. बीजेपी के गुंडों से लड़ना है. उन्होंने कहा कि सामाजिक हित में गठबंधन होना चाहिए.

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योगी सरकार ने दिया था रिहा करने का आदेश

इससे पहले राज्य सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि रावण की मां के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उनकी समय से पहले रिहाई का फैसला लिया गया है. बता दें कि रावण को एक नवंबर 2018 तक जेल में रहना था, लेकिन उनको गुरुवार रात को ही रिहा कर दिया गया. रावण के अलावा दो अन्‍य आरोपियों सोनू पुत्र नाथीराम और शिवकुमार पुत्र रामदास को भी सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है.

सहारनपुर में जातीय हिंसा के बाद किया गया था गिरफ्तार

मालूम हो कि बीते साल सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई जातीय हिंसा के चलते करीब एक महीने तक जिले में तनाव रहा था. भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को प्रशासन ने हिंसा का मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए थे.

इसके बाद सहारनपुर के डीएम की रिपोर्ट पर रावण के खिलाफ रासुका लगा दिया गया था, जिसका भीम आर्मी ने विरोध किया था. साथ ही रावण की रिहाई की मांग को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक प्रदर्शन किया था. योगी सरकार के इस फैसले को लोकसभा चुनावों से पहले दलितों की नाराजगी दूर करने के दांव के तौर पर देखा जा रहा है.

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पश्चिम उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी का खासा प्रभाव है, जो दलित आंदोलन के जरिए अपनी जड़ें जमाना चाहती है. हाल में हुए कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के पीछे भीम आर्मी के दलित-मुस्लिम गठजोड़ को बड़ी वजह माना जा रहा था.

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