
लोकसभा में ऐतिहासिक जीएसटी बिल को पास कराने के लिए चर्चा हो रही थी. इसी बीच नंबर आया सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का. शुरुआत में ही मुलायम ने कहा कि जीएसटी बिल तो पास हो जाएगा. बस इसके बाद मुलायम ने अपनी लाइन लेंथ ही बदल ली.
मुलायम की वाणी से फिर दूसरी बातें ही निकलीं, मुलायम बोले जीएसटी तो ठीक है, लेकिन सदन को गरीबों के लिए कानून लाना चाहिए, कोई गरीब भूखा ना रहे, कोई गरीब या किसान आत्महत्या ना करे, इस पर सर्वसम्मति से कानून बनाया जाए. सभी चौंके कि आखिर जीएसटी पर चर्चा में मुलायम सिंह ये क्या बातें करने लगे.
सभी का चौंकना लाज़मी था, लेकिन मुलायम सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. थोड़ी ही देर में साफ़ हो गया कि मुलायम अपना दर्द बयां करने की भूमिका बना रहे थे. जी हां, यूपी में हार का दर्द था, जिसको मुलायम बयान करना चाहते थे. मुलायम बोले, हमारी सरकार ने जो वायदे किये सभी पूरे किए. मुफ्त पढ़ाई से लेकर मुफ्त दवाई तक का वादा याद दिला दिया मुलायम ने. उसके बाद मुलायम बोल ही गए कि सारे वादे पूरे करने के बावजूद हम चुनाव हार गए.
मुलायम यहीं नहीं थमे, तब चेयर पर बैठे रमन डेका ने याद दिलाया कि अरे भाई चर्चा तो जीएसटी पर हो रही है. मुलायम फिर बोले कि वो तो पास हो जायेगा, लेकिन यूपी में अपने किए सारे वादे पूरे करने के बावजूद भी हम चुनाव हार गए, वहां भी 'मोदी मोदी, जय मोदी जय मोदी' हो गया. झूठे वादे करके चुनाव जीत गए और इतने बहुमत से जीते, जितनी उम्मीद तो खुद बीजेपी के लोगों ने भी नहीं की होगी.
अपने भाषण में मुलायम बीजेपी को याद दिलाना नहीं भूले कि यूपी की जनता पलटना भी जानती है. उन्होंने कहा, 'सन 1977 में जब आप और हम साथ थे, बहुमत में आये, लेकिन 80 में जनता ने पलट दिया. इसलिए आपने झूठे वादे किए हैं और वो पूरे नहीं होंगे, तो जनता हिसाब कर देगी.'
कुल मिलाकर लोकसभा में चर्चा तो जीएसटी पर हो रही थी, लेकिन मुलायम को यूपी की हार साल रही थी, तो सारा दर्द ज़ुबान पर आ ही गया. अब तो पूछने वाले पूछेंगे ही कि, अखिलेश से कितना भी मनमुटाव रहा हो, लेकिन अखिलेश सरकार की हार का दर्द जब मुलायम को परेशान कर रहा है, तो चुनाव के वक़्त परिवार में जो हुआ क्या वो वाकई फैमिली ड्रामा था.