
बीते कुछ साल में देश में जिस तरह गाय हाईलाइट हुई है, वैसे और कुछ नहीं हुआ. गाय की पूजा करने वाले गौभक्तों की देश में कमी नहीं. लेकिन स्वयंभू गौरक्षक दस्तों की कारगुजारियां भी हाल के दिनों में खूब देखने को मिली. देश के 29 में से 24 राज्यों में गोवध पर प्रतिबंध है. उत्तर प्रदेश भी ऐसा ही राज्य है जहां गोवध पर सख्त सजा का प्रावधान है. जाहिर है कि कानून का पालन करने के लिए गायों पर यहां पुलिस की भी नजर रहनी चाहिए.
पवित्र गायों के लिए सबसे सुरक्षित और अच्छी जगह कोई मानी चाहिए तो वो देश का गाय-पट्टी (काऊ बेल्ट) क्षेत्र है. इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में है. लेकिन इसी क्षेत्र में गाय की स्थिति को लेकर 'इंडिया टुडे/आज तक' की जांच से जो सच सामने आया, वो हैरान कर देने वाला है.
अंडर कवर रिपोर्टर्स ने कैमरे से जो कैद किया, उसे जानकर आप दंग रह जाएंगे कि सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र में ही गाय को कैसे-कैसे खतरों का सामना करना पड़ रहा है. कैसे यहां गौशाला संचालकों, दलालों और भ्रष्ट पुलिसवालों का नापाक गठजोड़ कर रहा है गायों और बछड़ों की खरीद-बेच का गोरखधंधा?
अंडर कवर रिपोर्टर्स की टीम इसी मिशन के तहत पहुंची उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के सैफनी कस्बे में पशुओं के बाजार. यहां कुरबानी के लिए गाय और बछड़ों को लेकर खुले तौर पर मोलभाव किया जा रहा था. अंडर कवर रिपोर्टर ने खुद को खरीददार बताते हुए कीमत जाननी चाही तो पता चला कि 16,000 से लेकर 22,000 हजार रुपए में गाय खरीदी जा सकती है. यहां देखकर सबसे ज्यादा हैरानी हुई कि सब कुछ बेखौफ चल रहा था.
अंडर कवर रिपोर्टर ने एक पशु विक्रेता से कहा, 'त्योहार के लिए एक गाय चाहिए.' इस पर जवाब मिला- 'यहां बाजार में घूमकर देखिए, बहुत मिल जाएंगी.' एक और पशु विक्रेता ने क्रीम रंग की गाय के लिए 17,000 रुपए की मांग की.
'इंडिया टुडे/आज तक' टीम को रामपुर में सिर्फ जीवित पशु ही नहीं बिकते दिखे. यहां बीफ मार्केट में मीट का भी धड़ल्ले से कारोबार होते दिखा. मीट विक्रेताओं ने ये भी माना कि वो गोमांस बेच रहे हैं. अंडर कवर रिपोर्टर ने जब एक मीट दुकानदार से पूछा, 'क्या तुम्हारे पास गाय (मीट) है?' इस पर दुकानदार का जवाब था- 'हां.' जो मीट दुकानदार बेच रहा था, उसकी कीमत उसने 160 रुपए प्रति किलो बताई.
एक और दुकानदार ने दावा किया कि पुलिस ने यहां सब (दुकानदारों) को आगाह कर रखा है कि जो भी मीट दुकान पर लटकाओ, उसकी स्किन पूरी तरह साफ होनी चाहिए. जिससे कभी अचानक इंस्पेक्शन हो तो कुछ पकड़ा ना जाए. रामपुर में एक गौशाला के संचालक का बर्ताव सबसे ज्यादा झटका देने वाला था. कान्हा गौशाला को चलाने वाले सुंदर पांडेय से अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा- 'त्योहार पर कुरबानी के लिए वो गाय का इंतजाम कैसे करा सकता है?'
इस पर पांडेय का जवाब था, 'दो दिन में वो इसे त्योहार के लिए उपलब्ध करा देगा, अभी जो यहां (कान्हा गौशाला) में जो मौजूदा स्टॉक है वो कुरबानी के लिए फिट नहीं है, कुछ के सींग टूटे हैं, कुछ की टांगे क्षतिग्रस्त हैं. आप को कुरबानी के लिए बेदाग पशु चाहिए.' पांडे की बातों से ये भी साफ हुआ कि यहां से मीट के लिए बछड़े को भी खरीदा जा सकता है.
अगले दिन 'इंडिया टुडे/आज तक' टीम अलीम नाम के एक दलाल तक पहुंची. अलीम ने बताया कि ये पूरा गोरखधंधा कैसे चलता है. अलीम ने कहा, 'पुलिस उन्हें (गायों) पकड़ती है और पुलिस स्टेशन लाती है. यहां से उन्हें गौशाला वाले खरीद कर ले जाते हैं. पशुओं की संख्या और सेहत के हिसाब से दो, तीन, चार लाख रुपए का भुगतान किया जाता है.' अंडर कवर रिपोर्टर ने अलीम से पूछा, 'गौशाला वाले इन गायों का क्या करते हैं?' दलाल का जवाब था, 'वो अपना पैसा वसूलते हैं. वो उन्हें बेच देते हैं (कालाबाजार में).'