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अवैध खनन मामला: बी चंद्रकला समेत आरोपियों की काली कमाई की जांच शुरू

UP illegal mining case आईएएस बी चंद्रकला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है. इसमें आरोपियों के अवैध धन की पूरी जानकरी जुटाने की कवायद की जा रही है.

आईएएस बी चंद्रकला(फाइल फोटो-@ChandrakalaIas ) आईएएस बी चंद्रकला(फाइल फोटो-@ChandrakalaIas )
राहुल झारिया/शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • नई दि‍ल्‍ली,
  • 18 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में अवैध खान के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू कर दी है. गुरुवार को आईएएस बी चंद्रकला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया था.

आरोपी बनाए गए लोगों में आईएएस बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी के नेता रमेश कुमार मिश्रा, हमीरपुर से तत्कालीन खनन अधिकारी मोईनुद्दीन, बाबू राम आसरे, सपा एमएलसी के भाई दिनेश कुमार, अंबिका तिवारी, संजय दीक्षित ऐदिल खान, राम अवतार सिंह और करण सिंह समेत कुछ औरलोगों के नाम शामिल हैं. 

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अपनी जांच में ईडी अब इन लोगों के अवैध धन का पता लगाएगा. इस कमाई को कहां-कहां निवेश किया गया, इस बारे में ईडी ने हमीरपुर के मौजूदा डीएम और खनन विभाग को चिट्ठी लिखकर साल 2012 से साल 2016 के बीच हमीरपुर में आवंटित हुए खनन पट्टों, लीज धारकों के बारे में पूरीजानकारी मांगी है.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग के मुखिया मुकुल सिंघल से बी चंद्रकला की पिछले 5 सालों में सालों में जहां भी नियुक्ति हुई है, उसका ब्योरा मांगा है.

जानकारी के मुताबिक ईडी की जांच का दायरा गायत्री प्रजापति (उस वक्त खनन मंत्री) और अखिलेश यादव (साल 2012-13 में खनन मंत्री होने के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी) तक बढ़ सकता है. 

ईडी की तरफ से यह केस सीबीआई के उस एफआईआर पर आधारित है, जिसमें 2012-16 के दौरान उत्तर प्रदेश के सभी खनन मंत्रियों के साथ अखिलेश यादव की भूमिका की भी जांच हो रही है. 

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इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक, उत्‍तर प्रदेश सरकार ने 2012 से 2016 के दौरान कुल 22 टेंडर पास किए गए, जिसमें 14 टेंडर अखिलेश के खनन मंत्री रहते पास किए गए. बाकी पट्टे दूसरे खनन मंत्रियों के कार्यकाज के दौरान जारी किए गए. इसमें नियमों का उल्लंघनहुआ था. 

अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति द्वारा दी गई खनन की मंजूरी को मुख्यमंत्री ने अनुमोदित किया गया था. नियम के मुताबिक 5 लाख रुपये से ऊपर के सभी पट्टों पर मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी होती है. 

सीबीआई के मुताबिक मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने अवैध तरीके से मंजूरी ली और नए सिरे से पट्टे दिए. इन लोगों ने पट्टाधारकों से अवैध वसूली की.

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 5 जिलों-शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर और देवरिया में सीबीआई को अवैध खनन के आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए थे.     

ईडी की यह कार्रवाई अवैध खनन मामले में सीबीआई द्वारा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के यहां छापेमारी के बाद हुई है. 

इन छापेमारियों को लेकर अखिलेश यादव समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने सीबीआई की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार राजनीतिक फायदे के लिए जांच एजेंसी का गलत इस्‍तेमाल कर रही है.

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सीबीआई ने अवैध खनन मामले में यूपी में कई जगहों समेत दिल्ली में छापेमारी की थी. इस दौरान कई वरिष्ठ अधिकारियों समेत आईएएस बी. चंद्रकला के घर भी छापेमारी हुई थी. इन अधिकारियों पर 2012-16 में अवैध खनन की इजाजत देने का आरोप है.

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