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घूस लेने के बाद भी बैंक ने नहीं दिया मुद्रा लोन, परेशान कारोबारी ने की खुदकुशी

जाहिर है गिरीश जैसे व्यवसायी की आत्महत्या केंद्र सरकार के उन दावों पर सवाल खड़े करते हैं जो व्यापारियों के लिए रास्ता आसान करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात करते हैं.    

कानपुर के व्यापारी ने की आत्महत्या कानपुर के व्यापारी ने की आत्महत्या
aajtak.in
  • कानपुर,
  • 01 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

  • ठप कारोबार की वजह से मुद्रा योजना का लाभ लेना चाह रहा था व्यापारी
  • बैंक अधिकारी ने घूस लेने के बाद भी नहीं दिया लोन, कर ली आत्महत्या

छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 2015 में मुद्रा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत छोटे व्यवसायियों को 10 लाख तक का लोन देने की योजना है. प्रधानमंत्री मोदी इस योजना को बीजेपी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हैं. लेकिन कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में एक कपड़ा व्यापारी ने इसलिए फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली क्योंकि बैंक ने उससे घूस लेने के बावजूद पांच लाख का लोन नहीं दिया.

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कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में एक कपड़ा व्यपारी ने फांसी लगातार आत्महत्या कर ली. बेटा जब घर पहुंचा तो पिता को फांसी पर लटकता देख घटना की जानकारी परिजनों सहित पुलिस को दी. सूचना पाकर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. जांच पड़ताल के दौरान पुलिस को मृतक के पास से तीन पन्नो का सुसाइड नोट मिला. उसमें लिखा था कि उसने मुद्रा लोन के लिए अप्लाई किया था लेकिन उसे बैंक ने लोन नहीं दिया. इसके अलावा कई अन्य लोगों ने भी उनसे कर्ज ले रखा था लेकिन कोई पैसा वापस नहीं दे रहा था. हर तरफ से खुद को लाचार पाकर व्यापारी ने आत्महत्या कर ली.

परिजनों ने बैंककर्मी पर घुस मांगने का लगाया आरोप

नौबस्ता के हंसपुरम निवासी गिरीश मिश्रा (55) कपड़ा कारोबारी थे. गिरीश के बहनोई बालेश अग्निहोत्री ने बताया कि उनकी बहन प्रतिभा को लकवा मार गया है. बहन के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा ज्ञानेंद्र प्राइवेट कंपनी में काम करता है. छोटा बेटा आशुतोष 12वीं का छात्र है. बहनोई गिरीश मिश्रा ने कुछ लोगों को पैसा उधार दे रखा था. अपनी छोटी बहन को भी कुछ पैसा उधार दे रखा था.

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उन्होंने बताया कि लंबे समय से मृतक गिरीश का कारोबार ठप है. उन्होंने काफी लोगों को कर्ज भी दे रखा था लेकिन कोई उनका पैसा वापस नहीं कर रहा था. इस वजह से भी वो काफी परेशान थे. बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाई गई मुद्रा योजना का लाभ लेने के लिए बैंक से संपर्क किया. पहले तो एक अधिकारी ने लोन देने के नाम पर उनसे घूस की मांग की. लेकिन बाद में घूस लेने के बावजूद जब उन्हें मुद्रा योजना का लाभ नहीं मिला तो वो बेहद परेशान हो गए और गुरुवार को अपने कमरे में जाकर आत्महत्या कर ली.

तीन पन्ने का सुसाइड नोट बरामद

गिरीश ने मरने से पहले तीन पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा है जिसमें उन्होंने मुद्रा योजना का लाभ नहीं मिलने और भ्रष्टाचार की वजह से होने वाली परेशानी का जिक्र किया है. बड़ा बेटा ज्ञानेंद्र गुरुवार शाम को जब घर पहुंचा तो कमरे में पिता को फंदे से लटकता देखा. जिसके बाद उसने परिजनों और पुलिस को इस बात की जानकारी दी. सूचना पाकर पुलिस और फॉरेंसिंक टीम मौके पर पहुंची. उन्होंने लाश को कब्जे में लेकर घटना की पड़ताल शुरू कर दी है.

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