Advertisement

बच्चे फुटबॉल नहीं जो उन्हें एक स्कूल से दूसरे स्कूल में फेंका जाए: सुप्रीम कोर्ट

गरीब बच्चों को पढ़ाना बड़े स्कूलों को कैसे नागवार गुजरता है इसका एक उदाहरण शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन 13 बच्चों को लखनऊ के मशहूर सिटी मोंटेसरी स्कूल ने एडमिशन दिया था उन बच्चों को स्कूल अब अपने यहां पढ़ाने से कतरा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
सबा नाज़/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

गरीब बच्चों को पढ़ाना बड़े स्कूलों को कैसे नागवार गुजरता है इसका एक उदाहरण शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन 13 बच्चों को लखनऊ के मशहूर सिटी मोंटेसरी स्कूल ने एडमिशन दिया था उन बच्चों को स्कूल अब अपने यहां पढ़ाने से कतरा रहा है. स्कूल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लखनऊ में और भी स्कूल हैं जो बच्चों के घर से ज्यादा करीब है, जहां इन बच्चों को भेजा जा सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा 'बच्चे फुटबॉल नहीं है कि इधर से उधर फेंके जाऐं.'

Advertisement

शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सरकारी, गैरसरकारी और निजी स्कूलों को गरीब बच्चों को 25 फीसदी सीटें देने का नियम है. लेकिन प्रतिष्ठित और मंहगे स्कूल में शामिल सिटी मोंटेसरी स्कूल ने गरीब बच्चों को ये कहते हुए एडमिशन से इंकार कर दिया कि लखनऊ में कई और स्कूल हैं जहां बच्चों के दाखिले हो सकते हैं फिर मोंटेसरी स्कूल ही क्यों. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले ये आदेश दिया कि मोंटेसरी स्कूल 13 गरीब बच्चों को एडमिशन दें और उन्हें पढ़ायें.

इस आदेश के बाद स्कूल ने एडमिशन तो दे दिया लेकिन स्कूल, सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. स्कूल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवीं ने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि लखनऊ में कई और स्कूल हैं जो इन गरीब बच्चों के घरों के पास हैं. इसलिए इन बच्चों को उन स्कूलों में शिफ्ट किया जा सकता है. हालांकि इसी बीच यूपी सरकार के वकील एम शमशाद ने साफ शब्दों में कहा कि बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं निकला जाना चाहिए. यूपी सरकार ने बच्चों को मोंटेसरी स्कूल में ही रखने का निर्णय लिया है. स्कूल के रवैये से नाराज कोर्ट ने कहा कि 'बच्चे फुटबॉल नहीं हैं जिन्हें इधर से उधर फेंका जाऐ.' कोर्ट ने स्कूल और यूपी सरकार दोनों को लिखित जवाब देने को कहा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement