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मोहन भागवत ने यूपी बीजेपी नेताओं के साथ की 3 घंटे की मैराथन बैठक

शनिवार को संघ प्रमुख से मिलने प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी के यूपी प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी सुनील बंसल पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख ने अलग-अलग और फिर एक साथ मुलाकात की.

मोहन भागवत मोहन भागवत
प्रियंका झा/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 28 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 3:53 AM IST

कहने को तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लखनऊ में इसलिये डेरा जमाया है कि काशी अवध और गोरक्ष (संघ के मुताबिक बंटे क्षेत्र) के संघ कार्यकर्ताओं और अधिकारियों से साथ संघ कार्य की समीक्षा करेंगे लेकिन शनिवार को जिस तरह से बीजेपी के बड़े नेताओं ने संघ प्रमुख से लंबी मुलाकात की उससे साफ हो गया कि संघ प्रमुख का एजेंडा इस बार सिर्फ सियासी है.

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शनिवार को संघ प्रमुख से मिलने प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी के यूपी प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी सुनील बंसल पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख ने अलग-अलग और फिर एक साथ मुलाकात की. संघ और बीजेपी दोनों के लिए सबसे बड़ी समस्या यूपी में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर है. समझा जा रहा है मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर न सिर्फ बीजेपी के इन नेताओं की राय जानी बल्कि अपने संघ के कार्यकर्ताओं की राय से इन्हें रु-ब-रु कराया.

चुनाव में पूरी ताकत झोंकेगा संघ
एक बात साफ हो गई कि इस चुनाव में संघ अपनी पूरी ताकत झोंकेगा. रविवार को बीजेपी के दफ्तर में पार्टी के सभी बड़े नेताओं की बैठक है, जिसमे ओम माथुर सुनील बंसल और केशव मौर्या रहेंगे, माना जा रहा है कि आज की मुलाकात से निकली बातें पार्टी कैडर तक जाएगी.

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बीजेपी के पास चेहरा नहीं
दरअसल यूपी में पार्टी खड़ी है. उत्साह से लबरेज भी है. इस बार दूसरे दलों में बीजेपी को लेकर आकर्षण भी है लेकिन बीजेपी के लिए सबसे बड़ा संकट मुख्यमंत्री का चेहरा ढूंढना है. दूसरी पार्टियों ने न सिर्फ अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बल्कि अपने ज्यादातर उम्मीदवार भी सामने कर दिए हैं. कांग्रेस ने शीला दीक्षित के रूप में अपना ब्राह्मण कार्ड चल दिया, मायावती और अखिलेश यादव का चेहरा जनता के सामने है. ऐसे में जैसे-जैसे वक्त बीत रहा बीजेपी के हाथ पांव फूल रहे हैं.

राजनाथ सिंह पहले ही अपनी दावेदारी खारिज कर चुके हैं, योगी आदित्यनाथ, केशव मौर्या वरुण गांधी और स्मृति ईरानी में से किसी एक नाम पर सहमति बनती नहीं दिख रही. ऐसे में संघ प्रमुख का यहां पांच दिन बैठना और लगातार बीजेपी और आरएसएस से चर्चा करने के गूढ़ मायने तलाशे जा रहे हैं.

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