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ईद आने को है लेकिन उत्तर प्रदेश का मुस्लिम समाज बकरीद के मौके पर होने वाली कुर्बानी को लेकर कशमकश में है. सूबे में जानवरों के अवैध कटान के नाम पर पशु व्यापारियों को पुलिस धर-पकड़ रही है. प्रशासन के इस सख्त रवैए से कुर्बानी के जानवर मुस्लिम समाज तक पहुंच ही नहीं पा रहे. यही वजह है कि उनमें कुर्बानी को लेकर संशय बना हुआ है.
कुर्बानी के जानवरों में दिक्कत
दरअसल सूबे में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद अवैध बूचड़खानों को बंद करा दिया गया था. इसकी वजह से कई जगह से शादियों में भी मुस्लिम समाज के लोगों को जानवर काटने के लिए प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ी थी. कई जगहों पर प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था. प्रशासन इसे लेकर सख्त रवैया अख्तियार किए हुए है. इस वजह से कुर्बानी के जानवर मुस्लिम समाज तक पहुंच ही नहीं पा रहे.
CM को दिया ज्ञापन
ऑल इंडिया जमियातुल कुरैश के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष डॉ. युसुफ कुरैशी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और चीफ सेक्रेटरी को ज्ञापन दिया है. उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस जानवरों के अवैध कटान के नाम पर कुर्बानी क लिए जानवरों की बिक्री करने वाले पशु व्यापारियों के प्रताड़ित कर रही है.
बकरे-भैंस की कुर्बानी
उत्तर प्रदेश में बकरे और भैंस की कुर्बानी होती है. इन जानवरों को मुस्लिम समाज तक पहुंचाने का काम पशु व्यापारी करते हैं. ये पशु व्यापारी अलग-अलग बाजारों से जानवरों को खरीदकर लाते हैं, जहां मुस्लिम समाज कुर्बानी के लिए उनसे खरीद फरोख्त करता है. कुरैशी कहते हैं कि बकरे और भैंस की कुर्बानी होती है. इन जानवरों पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है. इसके बावजूद पुलिस इन जानवरों के अवैध कटान के नाम पर व्यापारियों को परेशान कर रही है.
खौफ में पशु व्यापारी
हापुड़ में गुरुवार को पुलिस वालों ने जानवरों के अवैध कटान के नाम पर दो पशु व्यापारी गिरफ्तार किए और उनकी दस भैंसों को भी अपने कब्जे में ले लिया. युसुफ कुरैशी का कहना है कि ये जानवर कुर्बानी के लिए लाए गए थे, जिसे पुलिस अवैध कटान के नाम धर पकड़ कर बैठी हुई है. पुलिस तर्क दे रही है कि अदालत के जरिए जानवरों को छुड़ाएं. इसी तरह एक मामला मेरठ में भी हुआ है.
गोरक्षकों का आतंक
युसुफ कुरैशी कहते हैं कि योगी सरकार के आने के बाद गोरक्षकों के आतंक के कई मामले सामने आए हैं. ये गोरक्षक सिर्फ गाय ही नहीं बल्कि भैंस को लेकर जाने वाले व्यापारियों को भी परेशान करते हैं. इसी वजह से पशु व्यापारियों में डर है, जिससे इस बार जानवरों को वो बाहर से नहीं ला रहे हैं. खासकर कुर्बानी के लिए बड़े जानवरों की काफी दिक्कत हो रही है.
4 सितंबर तक न पकड़े जाएं जानवर
युसुफ कुरैशी कहते हैं कि सरकार से हमने यही मांग की है कि 4 सितंबर तक कुर्बानी के जानवरों को लाने ले जाने वालों को परेशान न किया जाए. क्योंकि इस्लाम में कुर्बानी करना एक अहम इबादत है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए कुर्बानी के खास इंतजाम किए जाएं.
इब्राहिम की सुन्नत है कुर्बानी
गौरतलब है कि ईद-उल-अजहा के मौके पर मुस्लिम समाज में कुर्बानी करना जरूरी होता है. दुनिया भर के मुस्लिम समाज इस मौके पर जानवरों की कुर्बानी करता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है, जिसे अल्लाह ने मुसलमानों पर वाजिब कर दिया है.